नई दिल्ली: दो महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी केंद्र के नए कृषि कानूनों (New Farm Laws) के विरोध में किसानों का आंदोलन (Farmers Protest) जारी है. अब तक किसान यूनियनों और सरकार के बीच कई दौर की वार्ता बेनतीजा रही है. 26 जनवरी को हुई दिल्ली हिंसा (Delhi Violence) के बाद सरकार और किसानों के बीच चला आ रहा गतिरोध और बढ़ गया है. हालांकि सरकार लगातार बातचीत के रास्ते मसले का हल निकालने की बात कह रही है लेकिन किसान अभी भी अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं. इस बीच आज (बुधवार)  संयुक्त किसान मोर्चा की अहम बैठक होने जा रही है. 


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किसानों की अगली रणनीति क्या? 
कुंडली बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा (Sanyukt Kisan Morcha) की अहम बैठक होगी. इस बैठक में किसान आंदोलन (Farmers Protest) की अगली रणनीति तय की जाएगी. दावा किया जा रहा है कि संयुक्त किसान मोर्चा की इस बैठक में सभी यूनियनों के नेता शामिल होंगे. बैठक में सरकार से बातचीत का रास्ता खोलने पर भी चर्चा होगी. गणतंत्र दिवस हिंसा (Republic Day Violence) के बाद से अब तक किसान यूनियों की यह पहली बड़ी बैठक होगी. 


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'लंबा चलेगा आंदोलन'
बता दें, राज्य सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) स्पष्ट कर चुके हैं कि MSP खत्म नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा, MSP था, है और रहेगा. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगर भविष्य में भी कोई शंका होगी तो सरकार उसको भी खत्म करेगी. प्रधानमंत्री के आश्वासन के बाद भी किसान पीछे हटने को तैयार नहीं हो रहे हैं. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने एक बार फिर कहा है, 'यह आंदोलन लंबा चलेगा. अभी सरकार को 2 अक्टूबर तक का समय दिया गया है. दिल्ली से किसान वापस नहीं आ रहे थे जो साढ़े तीन लाख ट्रैक्टर गए थे वे वापस आ रहे थे. सरकार गलतफहमी में न रहे कि किसान वापस चला जाएगा.'


मुकदमे वापस हों


राकेश टिकैत ने कहा है, बसों और गाड़ियों से आंदोलन नहीं हो सकता है. जमीन, ट्रैक्टर, किसान का समन्वय है. उन्होंने कहा हम तो सरकार से कह रहे हैं कि हमसे बात करो, जो हमारे मुद्दे हैं उनको समझे. साथ ही MSP पर अपनी मांग दोहराई और कहा कि किसानों पर लगे मुकदमे वापस होने चाहिए.


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विपक्ष का निशाना
कांग्रेस नेता उदित राज ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, 'मोदी जी जैसे नोबंदी के दौर में बुरे फंसे थे उसी तरह किसान आंदोलन में फंस गए हैं. नोटबंदी के समय  रोकर निकल लिए, इस बार भी वही कोशिश की है. भले संसद में मौका आजाद की विदाई का हो.' वहीं सपा नेता रविदास मेहरोत्रा ने कहा, केंद्र सरकार ने लगातार किसानों को रोकने का प्रयास किया. कई किसानों की मौत हो गई है फिर भी केंद्र कानून वापस लेने को तैयार नहीं है.


बता दें, कृषि कानून (New Farm law) रद्द कराने की मांग को लेकर किसान पिछले 76 दिनों से दिल्ली के तमाम बॉर्डर पर बैठे हुए हैं. सरकार के साथ 11 दौर की बातचीत बेनतीजा रही है. बीते 18 दिन से बातचीत का रास्ता बिल्कुल बंद है. अब एक बार फिर किसान रणनीति बना रहे हैं. 


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