नई दिल्ली: सिंघु बॉर्डर पर डटे किसान तीन नए कृषि कानूनों (New Farm law) को पूरी तरह से निरस्त करने की मांग पर अड़े हुए हैं. पिछले कुछ दिनों से वहां सुरक्षा बढ़ा दी गई है. प्रदर्शनकारी लगातार एक ही बात कह रहे हैं कि जब तक तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाता, तब तक हम भी वापस नहीं जाएंगे लेकिन जब इनसे यह पूछा गया कि ऐसा क्या है इन कानूनों में जिस पर आपको आपत्ति है, तो ज्यादार जवाब ही नहीं दे पाए.


क्यों कर रहे हैं विरोध?


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पहले सिंघु बॉर्डर पर पुलिस बैरिकेड लगाई गई थी, लेकिन अब सिंघोला गांव में भी किसी अप्रिय घटना की आशंका के मद्देनजर पुलिस बैरिकेड लगा दी गई है. सिंघोला गांव सिंघु से लगभग डेढ़ किमी की दूरी पर है. सिंघु और सिंघोला जाट बहुल गांव हैं जो दिल्ली-पानीपत हाईवे के दोनों ओर स्थित हैं. किसानों के विरोध-प्रदर्शन के कारण यह मार्ग 26 नवंबर से ही ब्लॉक कर दिया गया है. हरियाणा (Haryana) और पंजाब (Punjab) के सैकड़ों किसान कृषि कानूनों (New Farm law) को वापस लेने की मांग को लेकर सिंघु बॉर्डर पर डटे हुए हैं. इनमें से अधिकांश को तो यही नहीं पता कि इन तीनों कानूनों में आखिर विवादास्पद क्या है. विरोध-प्रदर्शन करने के लिए उन सबने बतौर किसान अपनी अलग-अलग कहानी बताई.


APMC को लेकर भ्रम!


हरियाणा के विभिन्न जिलों से आए किसानों ने इस बात पर चिंता जताई कि इन कानूनों से मंडियां समाप्त हो जाएंगी और उन्हें कॉरपोरेट एजेंट के भरोसे रहना पड़ेगा. एक बुजुर्ग किसान माहर सिंह तलवंडी ने कहा कि हमें इस बात को लेकर चिंता हो रही है कि सरकार इन कानूनों के जरिए मंडी प्रणाली (APMC) समाप्त कर देगी और बड़ी कंपनियों को खुली छूट दे देगी. मंडी सिस्टम से हमें एडवांस में भी पैसे मिल जाते हैं और जो लोग इस सिस्टम से वाकिफ हैं, वे किसानों के मुद्दों से भी भलीभांति परिचित होते हैं.


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यह पूछे जाने पर कि हरियाणा में इन तीनों कानूनों के खिलाफ आंदोलन (Farmers Protest) कैसे शुरू हुआ, उक अन्य बुजुर्ग किसान देवेन्दर सिंह ने कहा कि ये कानून अंग्रेजी में लिखे गए हैं और हम किसानों को अंग्रेजी नहीं आती है. सरकार द्वारा इन कानूनों को पारित कर दिए जाने के बाद हरियाणा के किसान गांवों में जुटने लगे और इन कानूनों का विरोध करने लगे. जो लोग खेती पर ही आश्रित हैं, वे इन कानूनों पर कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं. जिंद से आए एक अन्य किसान ने कहा कि फिलहाल हरियाणा के किसानों के पास अगले दो महीनों तक खेतों में करने के लिए कुछ भी नहीं है. हम पूरी तरह फ्री हैं और यहीं डटे रहेंगे.


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