सबसे ऊंची ऐतिहासिक इमारतों का जिक्र होगा तो आप शायद झट से कुतुब मीनार का नाम लेंगे. हालांकि कम लोगों को पता है कि देश में एक मीनार अब इससे भी ऊंची है. जी हां, सिख संस्कृति और गौरवशाली विरासत को संजोए यह स्मारक आसमान की बुलंदियों को छूती दिखाई देती है. पंजाब के मोहाली में एक गांव है चप्पड़चिड़ी, यहीं बना है फतेह बुर्ज जिसे विजय की मीनार भी कहते हैं.


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फतेह बुर्ज की ऊंचाई 328 फीट है जबकि कुतुब मीनार 239.5 फीट ही है. हजारों लोग रोज इसे देखने आते हैं. यह क्षेत्र बाबा बंदा सिंह बहादुर की बहादुरी बयां करता है. बंदा सिंह बहादुर ने यहां किसानों की जमीन मुक्त कराने के लिए लड़ाई लड़ी थी. उन्हीं की याद में इस क्षेत्र को विकसित किया गया है. तीन मंजिला मीनार सिख गुंबद से ढकी है. तीन मंजिलें तीन अलग-अलग जंग की कहानी कहती हैं. 67 फीट समाना की जीत, 117 फीट सधौरा विजय और 220 फीट चप्पड़चिड़ी की विजय.



यहां बाबा बंदा सिंह बहादुर और उनके पांच जरनैलों की बड़ी प्रतिमाएं लगाई गई हैं. यहां ओपन एयर थिएटर, कैफेटेरिया भी है. पास में एक तालाब भी बना है. चप्पड़चिड़ी की लड़ाई 12 मई 1710 को हुई थी. उस जंग में मुगलों के सामने सिखों की बहादुर फौज थी. मुगल सेना को बंदा बहादुर की सिख सेना के आगे हार माननी पड़ी थी. इस जीत के बाद लाहौर से लेकर दिल्ली तक सिख शासन स्थापित हुआ था.



यह स्मारक 2011 में पूरी तरह बनकर तैयार हुआ था. फतेह बुर्ज भारत में सबसे ऊंचा विक्ट्री टावर माना जाता है. यह टावर मुगल गवर्नर वजीर खान पर सिख योद्धा बंदा सिंह बहादुर की जीत की याद दिलाता है. Chappar Chiri में ही बंदा बहादुर ने वजीर खान को धूल चटाई थी और मुगलों को घुटने टेकने पर मजबूर किया था. ऊपर की तस्वीर गूगल मैप की है जिसमें यह मीनार दिखाई देती है.