चेन्नई: मां-बाप, बच्चों के लिए भगवान की तरह होते हैं. उनका ध्यान रखने से लेकर ऐसी अनगिनत बातें हैं जो इस बात का सबूत देती हैं. मां-बाप के बाद डॉक्टर और गुरू यानी टीचर की गिनती भगवान या फरिश्तों के रूप में होती है. ऐसे ही एक मामला चेन्नई में सामने आया है जहां एक चार साल के बच्चे की जान बचाने के लिए उसके सभी ने अपना योगदान दिया.


छोटी आंत का सफल प्रत्यारोपण


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चेन्नई के रेला हास्पिटल ने बेंगलूरु के एक चार साल के बच्चे की छोटी आंत का सफल प्रत्यारोपण सर्जरी कर एशिया बुक आफ रिकार्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया है. डॉक्टरों का दावा है कि एशिया में पहली बार इतने कम उम्र के बच्चे की ऐसी सर्जरी हुई है. 


पिता ने दिया अंश


डॉक्टरों के मुताबिक बच्चे के पिता ने बेटे की जान बचाने और उसकी जिंदगी को आसान बनाने के लिए अपनी छोटी आंत का एक सौ पचास सेंटीमीटर का हिस्सा डोनेट किया. इस कामयाब सर्जरी के बाद पिता और बच्चा दोनों पूरी तरह स्वस्थ्य हैं. अब इस पिता-पुत्र की स्टोरी धीरे धीरे पूरे देश में ट्रेंड कर रही है.


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जटिल सर्जरी


इतने छोटे बच्चे की आंत का प्रत्यारोपण आसान नहीं था. ये बेहद जटिल सर्जरी थी. जिसे डॉक्टरों की टीम ने पूरे धैर्य और लगन के साथ आराम से पूरा किया. सात घंटे तक चली इस सर्जरी के कामयाब होने पर नया रिकॉर्ड बना तो सभी का एक कार्यक्रम के दौरान सम्मान हुआ. जहां पर अस्पताल के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर प्रो. मोहम्मद रेला, स्वास्थ्य मंत्री एम.सुब्रमण्यम और हेल्थ सेक्रेटरी डा.जे.राधाकृष्णन भी मौजूद थे. 


दुर्लभ बीमारी का इलाज


डॉक्टरों ने बताया कि इस बच्चे को दो दिनों तक उल्टियां (वोमेटिंग) हुई तो पिता ने सोचा कि ऐसा पेट के इंफेक्शन की वजह से हुआ होगा. लेकिन वो तब हैरान रह गए जब डॉक्टरों ने उनसे कहा कि बच्चा एक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित है जिसका नाम वोल्वुलस है. इसका सही समय पर इलाज न हो तो जान का खतरा हो सकता है.


दरअसल इस बीमारी में आंतों में ब्लड की सप्लाई बंद हो जाती है. इसलिए इस मामले में फौरन इमरजेंसी में सर्जरी करने का फैसला हुआ. जांच में सर्जनों को ये भी पता चला था कि बच्चे की आंतों का लूप पूरी तरह से गल गया है जिसे जल्द से जल्द निकाल ही होगा. 


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