3000 मीटर की उंचाई पर पहुंचते ही विमान में मौजूद होगी कॉल और मैसिजिंग की सुविधा
इस सर्विस को शुरू करने को लेकर गृह मंत्रालय ने सुरक्षा के लिहाज से सर्विस प्रोवाइडर का इमेज सर्वर भारत में ही लगाने की बात कही थी.
नई दिल्लीः विमान में इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी के जरिए कॉलिंग और डाटा सर्विस की सुविधा उपलब्ध होने में अभी तीन से चार माह का समय लगेगा. विमानन मंत्रालय के अनुसार मंगलवार को हुई बैठक में टेलीकॉम कमीशन ने ट्राई द्वारा दिए गए सभी सुझावों को मंजूरी दे दी है इस मंजूरी के साथ अब एयरलाइंस और टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर यात्रियों को भारतीय एयर स्पेस में वाइस कॉल और डाटा सर्विस की सुवधिा उपलब्ध करा सकेंगे. मंत्रालय के अनुसार गाइडलाइन के तहत विमान के 3000 मीटर की उंचाई पर पहुंचते ही वाइस कॉल और डाटा सर्विस की सुविधा यात्रियों के लिए उपलब्ध होगी. मंत्रालय का अनुमान है कि इन फ्लाइट कनेक्विटी सिस्टम को सितंबर तक पूरी तरह से शुरू कर दिया जाएगा.
भारतीय सेटेलाइट के जरिए संचालित होगी इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी सर्विस
विमानन मंत्रालय के अनुसार इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी सर्विस के लिए गठित सचिवों की समिति ने निर्णय लिया है कि भारतीय एयरस्पेस में इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी सर्विस भारतीय सेटेलाइट के जरिए ही उपलब्ध कराई जाएगी. इस बाबत डिपार्टमेंट आफ स्पेस फॉर कम्युनिकेशन ने अपनी संस्तुति प्रदान कर दी है. उल्लेखनीय है कि इस सर्विस को शुरू करने को लेकर गृह मंत्रालय ने सुरक्षा के लिहाज से सर्विस प्रोवाइडर का इमेज सर्वर भारत में ही लगाने की बात कही थी. भारतीय सेटेलाइट से जरिए कम्युनिकेशन के फैसले के बाद गृह मंत्रालय की आशंकाओं को भी सफलता पूर्वक सुलझा लिया गया है.
एक रुपए मे मिलेगा ऑपरेटर को लाइसेंस
विमानन मंत्रालय के अनुसार विमानों में इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी मुहैया कराने वाली कंपनियों के लिए अलग लाइसेंस जारी किया जाएगा. इस लाइसेंस के लिए कंपनियों से एक रुपए की टोकन लाइसेंस फीस ली जाएगी.
समुद्री जहाजों में भी शुरू होगी सुविधा
मंत्रालय के अनुसार फ्लाइट में इस सुविधा को शुरू करने के बाद इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी को शिप (समुद्री जहाज) मे भी शुरू किया जाएगा. जिससे समुद्री रास्ते से सफर करने वाले यात्रियों को संचार की सुविधा उपलब्ध कराई जा सके.