Madras High Court on religious conversion: मद्रास उच्च न्यायालय ने गुरुवार को तमिलनाडु (Tamilnadu) सरकार को राज्य के स्कूलों में कराए जा रहे जबरन धर्म परिवर्तन को लेकर लताड़ लगाई है. हाई कोर्ट ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि क्यों न उसे राज्य के स्कूलों में हो रहे धर्म परिवर्तन को लेकर तमिलनाडु सरकार को दिशा-निर्देश तैयार करने के लिए निर्देशित करना चाहिए. जस्टिस आर महादेवन और एस अनंती की खंडपीठ ने शहर के एक अधिवक्ता बी जगन्नाथ की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान गुरुवार को ये मौखिक टिप्पणी की.


सरकार करेगी कार्रवाई


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

जबरन धर्मांतरण (Forced conversion) को लेकर राज्य के सीएम एम के स्टालिन (MK Stalin) की अगुवाई वाली सरकार ने जवाब देते हुए कहा कि वह इस तरह के धर्मांतरण करने वालों के खिलाफ गंभीर कार्रवाई करने से नहीं हिचकिचाएगी. इस दौरान सरकार ने जोर देकर कहा कि याचिका विचारणीय नहीं है. 


ये भी पढ़ें- Indian Army: सेना के जवानों को अब निशाना नहीं बना सकेगी दुश्‍मन की गोली, ये है वजह


याचिका में क्या है?


गौरतलब है कि इस याचिका में सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों, प्राथमिक और उच्च माध्यमिक दोनों में धर्मांतरण और जबरन धर्मांतरण को रोकने और प्रतिबंधित करने के लिए सरकार को प्रभावी दिशा-निर्देश तैयार करने और सुधारात्मक उपायों सहित सभी आवश्यक कदम उठाने का निर्देश देने की प्रार्थना की गई है.


इस संबंध में याचिकाकर्ता वकील ने तंजावुर जिले की एक हालिया घटना का हवाला भी दिया है. याचिकाकर्ता वकील ने बताया कि तंजावुर में एक स्कूली छात्रा लावण्या ने कथित तौर पर ईसाई धर्म में परिवर्तित होने के दबाव में आत्महत्या कर ली. कोर्ट ने इस मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे.


याचिकाकर्ता वकील ने ये भी कहा, 'गरीब और निर्दोष छात्रों सरकारी स्कूलों में जबरन धर्मांतरण के खिलाफ न्यायपालिका से गुहार लगाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है. जबरन धर्मांतरण धर्मनिरपेक्ष लोकाचार, संविधान की मूल नींव और अनुच्छेद 21, 25, 14 और 19 के उल्लंघन के खिलाफ है. इसे तभी समाप्त किया जा सकता है जब न्यायपालिका प्रवेश करे और दिशानिर्देश जारी करे.'


कोर्ट की टिप्पणी


याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस महादेवन ने पूछा कि स्कूलों में धर्म परिवर्तन रोकने के लिए सरकार को दिशा-निर्देश तैयार करने का निर्देश देने में क्या हर्ज है. न्यायाधीश ने कहा कि किसी भी धर्म को मानने का अधिकार है, लेकिन जबरन धर्म परिवर्तन करने का नहीं.


LIVE TV