Former CJI U U Lalit on LGBT Resrvation: सामाजिक और आर्थिक तौर पर समाज के कमजोर तबकों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई थी. एलजीबीटी समाज की तरफ से भी एससी, एसटी और ओबीसी की तर्ज पर आरक्षण की मांग की जाती रही है. हालांकि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश यू यू ललित ने कहा कि यह समाज वर्टिकल आरक्षण के दावे का हकदार नहीं है. हालांकि इस समाज के लोग महिलाओं और दिव्यांगों के लिए क्षैतिज आरक्षण का दावा कर सकते हैं. यहां पर वर्टिकल और होरिजंटल आरक्षण के बारे में भी समझना जरूरी है.


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पूर्व सीजेआई से पूछा गया था सवाल

इंडिया इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ लीगल एजुकेशन एंड रिसर्च में प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान यू यू ललित से एक सवाल एलजीबीटी को आरक्षण दिए जाने के  विषय पर सवाल किया गया था. उनसे सीधा सवाल था कि क्या एलजीबीटीक्यू समुदाय कभी संवैधानिक सकारात्मक कार्रवाई या आरक्षण के दायरे में आएगा. सवाल के जवाब में कहा कि सैद्धांतिक रूप से हां. लेकिन अगर मैं जवाबी तर्क दूं तो वो कुछ ऐसे है कि किसी का जन्म एससी, एसटी या ओबीसी समाज में हो उस पर उसका कोई वश नहीं है. लेकिन किसी का किसी खास जेंडर के प्रति रुझान या झुकाव हो तो वो सिर्फ एक चुनाव है. 


किसी समाज में जन्म होना वश में नहीं लेकिन..

किसी का किसी समाज में जन्म होना दुर्घटना नहीं है. और वो महज जेंडर की वजह कोई किसी से वंचित है वो भी वजह नहीं है, आर्थिक तौर पर या सामाजिक तौर पर पिछड़ापन एक मुद्दा हो सकता है. हां अगर कोई व्यक्ति जो तीसरे लिंग के रूप में पैदा हुआ है तो वह पैदाइश का मामला है और वहां आरक्षण सकारात्मक कार्रवाई है. लेकिन अधिकांश एलजीबीटीक्यू समुदाय के लिए सेम सेक्स के लोगों के प्रति झुकाव उसकी अपनी पसंद है. यौन अभिविन्यास उनकी अपनी पसंद है. एलजीबीटी समाज ने इसे एक चुनाव के रूप में स्वीकार किया है।


इस प्रकार का आरक्षण ‘ऊर्ध्वाधर’ रूप से पृथक लोगों के लिए है. महिलाओं और शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए क्षैतिज आरक्षण भी है तथा इसी तरह एलजीबीटीक्यू भी एक क्षैतिज आरक्षण श्रेणी हो सकती है. क्षैतिज आरक्षण का मतलब कुल आरक्षण कोटा आकार में वृद्धि किए बिना वर्टिकल रिजर्वेशन देना है. उन्होंने कहा कि जैसे कि कोई महिला सामान्य,एससी, एसटी या ओबीसी या ईडब्ल्यूएस में हो सकती है. क्षैतिज श्रेणी आरक्षण के कुल आकार को बढ़ाए बिना क्षैतिज रूप से चलती है. उसी तरह शायद यह एलजीबीटीक्यू श्रेणी भी एक क्षैतिज आरक्षण श्रेणी हो सकती है, लेकिन यह संसद के विचार का विषय है.


(एजेंसी इनपुट- आईएएनएस)