नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद खान ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि बोर्ड ने तीन तलाक के मुद्दे पर यू-टर्न ले लिया है. खान ने यह बयान एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के उस बयान के जवाब में दिया जिसमें उन्होंने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से उन्हें उम्मीद है कि वह तीन तलाक कानून की वैधानिकता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगा. पूर्व केंद्रीय मंत्री खान ने ओवैसी को भी नसीहत दे डाली. 


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दरअसल, ओवैसी ने सवाल उठाया था कि हिंदू व्यक्ति को एक साल की सजा जबकि मुस्लिम व्यक्ति को तीन साल साल की सजा का प्रावधान है. एक देश में दो कानून क्यों हैं? इस पर खान ने ओवैसी को सलाह देते हुए कहा, "अगर वह समानता की बात करते हैं तो वह सरकार से देश के प्रत्येक नागरिक के लिए पारिवारिक कानूनों को लागू करने के लिए क्यों नहीं कहते. वह कॉमन सिविल कोड का समर्थन करें." 


पूर्व केंद्रीय मत्री ने न्यूज एजेंसी ANI को दिए एक साक्षात्कार में कहा, "पर्सनल लॉ बोर्ड ने सबसे पहले तो तलाक को 'गुनाह, दमनकारी और अन्यायपूर्ण बताया था." हालांकि, बाद में उन्होंने अपना रुख बदल दिया."   
 
खान ने कहा, "हम एक लोकतांत्रिक देश हैं. हर किसी को अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार है. आपके पास संसद में पास कानून की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का अधिकार है लेकिन मुझे समझ में नहीं आ रहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जिसने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र देकर वादा किया था कि वह तीन तलाक के खिलाफ कैंपेन चलाएगा, वह अब कोर्ट कैसे जा सकता है."  


उन्होंने कहा, "वे अब फिर से सुप्रीम कोर्ट वैधानिकता को चुनौती देने जा रहे हैं तो ऐसे में अपने शपथ पत्र की बातों को कैसे स्वीकार करेंगे. मैं अब देखना चाहूंगा कि वे अब क्या कहते हैं. मैं इसका स्वागत करता हूं. उन्हें कोर्ट जाना चाहिए."  


खान राजीव गांधी सरकार में मंत्री थे लेकिन 1986 में मुस्लिम पर्सनल लॉ बिल और तीन तलाक को लेकर कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था. खान ने कहा कि डिवोर्स एक सिविल मामला है जबकि तीन तलाक 'आपराधिक कृत्य' है.