नई दिल्ली : हमारे देश के सैनिक अब उस ताजी सब्जी का स्वाद ले सकेंगे जो अपने बंकर में उन्होंने खुद उगाई होगी. ये चमत्कार है आधुनिक ज्ञान और विज्ञान का जिसकी मदद से ये हरी सब्जियां माइक्रो ग्रीन वेजिटेबल्स बिना मिट्टी के और नाम मात्र के पानी से पैदा होंगी. इन सब्जियों  तैयार होने में मात्र दो हफ्ते लगेंगे. लद्दाख जैसे दुर्गम इलाकों में तैनात जवानों को इनका स्वाद बेहद पसंद आएगा जहां उन्हें कई महीनों तक डब्बा बंद प्रोसेस्ड सब्जियां खानी पड़ती हैं. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

DRDO संगठन का शाकाहारी शाहकार
लेह स्थित डिफेंस इंस्टीट्यूट फॉर हाई एल्टीट्यूड रिसर्च यानि DIHAR के लैब में इन माइक्रो ग्रीन वेजिटेबल्स को तैयार किया गया है. लैब वैज्ञानिक डॉ. दोरजे ने बताया कि इन सब्जियों को उगाने के लिए मिट्टी की जगह कोको पीट यानी नारियल के छिलकों का इस्तेमाल किया जाता है. इसे छोटी ट्रे में डालकर बीज डाल दिए जाते हैं और दिन में सिर्फ एक बार पानी का छिड़काव करने की जरूरत पड़ती है.


ये भी पढ़ें- जानें कब से खुलेंगे स्कूल-कॉलेज, ये है सरकार का नया प्लान


जिसे बंकर के किसी कोने में आराम से रखा जा सकता है और इसे धूप दिखाने की भी जरूरत नहीं है. बीज से दो हफ्ते में अंकुर निकल आते हैं और जिनकी छोटी पत्तियों का स्वाद और महक ताजी सब्जियों जैसी होती है. जवान इसे सलाद के तौर पर भी खा सकते हैं, और इस तरह वो प्रोसेस्ड फूड को खाने की वजह से होने वाली ऊब से बच जाएंगे.


'पौष्टिकता से भरपूर होगी डिफेंस लैब की सब्जी'
डिहार के डायरेक्टर डॉ. ओम प्रकाश चौरसिया ने बताया कि इन पत्तियों में स्वाद और महक के अलावा वो सारे पोषक तत्व होते हैं जो ताजा सब्जियों में मिलते हैं. लेकिन इसका सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि जवान को अपनी रोज की फिक्स्ड दिनचर्या से मन बहलाने का एक स्वस्थ तरीका भी मिलेगा.


गांव की पृष्ठभूमि से आए सैनिकों के लिए ये खेती जुड़ने जैसा अनुभव होगा जिससे उनका तनाव कम होगा. इन माइक्रो ग्रीन में मूली, गोभी, मटर जैसी सब्जियां शामिल हैं जो कि पूरे भारत वर्ष में चाव से खाई जाती हैं.


जिन सैनिकों और फोर्स के जवानों को बर्फीले ठंडे रेगिस्तान में दूर-दूर तक घास का तिनका तक नहीं दिखता, वो जवान अब बंकर की हरियाली देखकर मानसिक रूप से और मजबूत होंगे.