Fuel Crisis: ब्रिटेन में क्यों गहराया तेल का संकट? सामने आई सबसे बड़ी वजह
Fuel Crisis: ब्रिटेन में लोग किसी भी तरह से अपनी गाड़ियों के टैंक फुल करवा लेना चाहते हैं, इसके लिए कोई कूड़ा डालने वाले बैग में पेट्रोल जमा कर रहा है तो कोई घर से लाए गए ड्रमों और बोतलों में पेट्रोल भर रहा है.
नई दिल्ली: उपन्यासों और फिल्मों की दुनिया का एक मशहूर काल्पनिक जासूसी किरदार है जेम्स बॉन्ड (James Bond). फिल्मों में जेम्स बॉन्ड ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी MI Five के लिए काम करता है. जो भविष्य की टेक्नोलॉजी से लैस गाड़ियों में बैठकर अपने मिशन को अंजाम देता है.
ब्रिटेन में फ्यूल संकट
लेकिन अगर ये काल्पनिक किरदार एक हकीकत होता तो वो आज ब्रिटेन में अपनी गाड़ी में पेट्रोल डलवाने के लिए लाइन में लगा होता. क्योंकि ब्रिटेन के पेट्रोल पंपों पर पेट्रोल और डीजल लगभग खत्म हो चुका है. और शायद तब जेम्स बॉन्ड की आने वाली फिल्म का नाम रखा जाता No Time To drive.
चीन में बिजली संकट
इसी तरह अगर चीन की फिल्मों में दिखाए जाने वाले ड्रैगन का काल्पनिक किरदार एक हकीकत होता तो उसे आज शायद चीन में किसी स्ट्रीट लाइट से लटका दिया जाता और उसके मुंह से निकलने वाली आग का इस्तेमाल किसी लैम्प पोस्ट की तरह किया जाता, क्योंकि चीन के बहुत सारे शहर बिजली की कमी की वजह से अंधेरे में डूबे हुए हैं.
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चीन-ब्रिटेन में ऐसे हैं हालात
ब्रिटेन करीब 200 वर्षों तक दुनिया का सुपर पावर था और चीन आने वाले 200 वर्षों तक दुनिया का नया सुपर पावर बनके रहना चाहता है. लेकिन आज इनमें से एक देश में लोग अपनी गाड़ियों में पेट्रोल और डीजल डलवाने के लिए आपस में लड़ रहे हैं तो दूसरे देश में फैक्ट्रियों में मोमबत्ती की रोशनी में काम हो रहा है.
सबसे पहले बात ब्रिटेन की. जहां फ्यूल स्टेशनों पर पेट्रोल और डीजल लगभग खत्म हो चुका है और जहां थोड़ा बहुत फ्यूल बचा है वहां गाड़ियों की कई किलोमीटर लंबी लाइनें लगी हुई हैं. स्थिति ये है कि मशहूर फुटबॉल खिलाड़ी Cristiano Ronaldo का ड्राइवर उनकी सवा दो करोड़ रुपये की गाड़ी को लेकर एक पेट्रोल पंप पर सात घंटे से ज्यादा समय तक खड़ा रहा लेकिन वो इसमें पेट्रोल नहीं डलवा पाया. हालत ये हैं कि पेट्रोल पंपों के बाहर लाइनों में लगे लोग अब एक दूसरे के साथ मार पिटाई कर रहे हैं.
क्यों आई ये नौबत?
इसकी वजह ये नहीं है कि ब्रिटेन में अचानक से पेट्रोल और डीजल की कमी हो गई है बल्कि इसकी असली वजह ये है कि ब्रिटेन में उन ट्रक ड्रावरों की कमी है जो पेट्रोल पंपों तक ईंधन की डिलीवरी किया करते थे. यानी ब्रिटेन में पेट्रोल और डीजल की सप्लाई चेन पूरी तरह टूट गई है.
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ब्रिटेन में इस समय फ्यूल स्टेशन तक पेट्रोल और डीजल पहुंचाने वाले 1 लाख ड्राइवरों की कमी है. ब्रिटेन में फ्यूल डिलीवरी का काम ज्यादातर दूसरे देशों से आए लोग किया करते थे. लेकिन ब्रेक्जिट के बाद ब्रिटेन में काम करने वाले बहुत सारे ट्रक ड्राइवर्स यूरोप के दूसरे देशों में चले गए या अपने मूल देश वापस लौट गए.
इसके बाद Covid 19 के दौरान भी ऐसा ही हुआ. कुल मिलाकर फिलहाल ब्रिटेन में पर्याप्त तेल भी है. इसकी डिलिवरी करने वाले ट्रक भी हैं लेकिन इन ट्रकों को चलाने वाले ड्राइवर नहीं है.
अब जब पेट्रोल और डीजल पेट्रोल पंपों तक पहुंच ही नहीं रहा तो वहां तेल की कमी होना स्वाभाविक है. ऐसे में डर की वजह से इन पेट्रोल पंपों के बाहर गाड़ियों की लंबी लाइनें लग गई है.
ब्रिटेन में इस समय करीब 27 प्रतिशत फ्यूल स्टेशनों ऐसे हैं. जिनके पेट्रोल और डीजल के टैंक्स पूरी तरह से खाली हो गए हैं हालांकि ब्रिटेन की सरकार का दावा है कि ये स्थिति अब धीरे-धीरे सुधर रही है.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा है कि वो सेना के जवानों से पेट्रोल और डीजल की डिलीवरी कराएंगे. लेकिन समस्या है ये है कि इन सैनिकों को इसकी ट्रेनिंग देने में कम से कम 5 दिन का समय लगेगा और तब तक ब्रिटेन के ज्यादातर पेट्रोल पंप्स पूरी तरह से सूख चुके होंगे.
इसके अलावा ब्रिटेन की सरकार ने 10 हजार विदेशी ट्रक ड्राइवरों के लिए अस्थाई वीजा जारी करने की घोषणा की है लेकिन इतनी जल्दी और इतनी बड़ी संख्या में ड्राइवरों का ब्रिटेन लौटना आसान नहीं है.
ड्राइवरों की कमी की वजह से ही कुछ दिनों पहले ब्रिटेन के सुपर मार्केट्स में भी सामान की कमी हो गई थी और लोगों ने कमी के डर से ज्यादा से ज्यादा सामान खरीदना शुरू कर दिया था.
गहरा सकता है अन्न संकट
ब्रिटेन के ट्रक ड्राइवरों की यूनियन ने भी कहा है कि आने वाले समय में खाने पीने के सामान से लेकर क्रिसमस के तोहफों तक की कीमत बढ़ जाएगी क्योंकि इन चीजों की सप्लाइ करने के लिए भी पर्याप्त संख्या में ड्राइवर नहीं हैं.
लेकिन ये स्थिति सिर्फ ब्रिटेन की नहीं है बल्कि पूरे यूरोप में ट्रक चलाने वाले क्वालिफाइड ड्राइवरों की कमी है. Poland को 1 लाख 20 हजार ट्रक ड्राइवरों की जरूरत है तो जर्मनी को फौरन 60 हजार ट्रक ड्राइवर चाहिए.