G20 Meeting Kashmir: जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में जी-20 (G-20) के वर्किंग ग्रुप की बैठक हो रही है. तीन दशक बाद ये पहला मौका है, जब यहां किसी इंटरनेशनल मीटिंग का आयोजन किया गया है. इस उपलब्धि के पीछे पीएम मोदी का दृढ़ निश्चय और अटूट विश्वास है, जिसने आतंकवाद का जख्म झेल रहे धरती के जन्नत की तकदीर और तस्वीर बदल कर रख दी है. पीएम मोदी की पहल से पिछले कुछ साल में कैसे बदला कश्मीर. ये धरती की जन्नत कहा जाने वाला जम्मू-कश्मीर है, जिसकी खूबसूरती ही इसकी पहचान है. यहां के बर्फ से ढंके पहाड़, घाटी में चिनार के पेड़ जन्नत की वादियों को और भी खूबसूरत बनाते हैं. ये जम्मू-कश्मीर का वो चेहरा है, जिस पर लंबे समय तक आतंकवाद और अलगाववाद का बदनुमा दाग लगा रहा. यहां की वादियों में बार-बार गोलियों की गूंज सुनाई देती थी. बम-बारूद के धुएं से जन्नत के बाशिंदों के दम घुट रहे थे. मतलब परस्त अलगाववादी नफरत के बीज बोकर पत्थरबाजों की फसल तैयार करने में जुटे थे और डल झील के किनारे डर का माहौल घर कर गया था.


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9 साल में कैसे बदल गई घाटी की तस्वीर?


मगर ठीक 9 साल पहले नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ के साथ ही जम्मू-कश्मीर की तस्वीर और तकदीर बदलने का भी प्रण लिया. पीएम मोदी ने तय कर लिया था कि कश्मीर में आतंक नहीं लोकतंत्र का राज होगा. यहां अलगाववाद नहीं विकास की बयार बहेगी. यहां पत्थरबाज नहीं पढ़े-लिखे, नौकरीपेशा युवाओं की जमात रहेगी. इसी प्रण के साथ प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही नरेंद्र मोदी जम्मू-कश्मीर की नई रूप-रेखा तैयार करने में जुटे रहे और अपने दूसरे कार्यकाल के कुछ महीने बाद ही इसे अमलीजामा जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटा कर पहनाया. 5 अगस्त 2019 को आर्टिकल 370 के खात्मे के साथ ही जम्मू-कश्मीर में विकास की नई शुरुआत हुई. सबसे पहले जानिए कि आर्टिकल 370 हटने से कश्मीर में क्या बदला?


आर्टिकल 370 हटने से कश्मीर में क्या बदला?


पहले जम्मू-कश्मीर में केंद्र सरकार के कानून और योजनाएं लागू करना मुश्किल था. इसके लिए राज्य सरकार की मंजूरी जरूरी होती थी लेकिन अब यहां केंद्रीय कानून और योजनाएं भी लागू हैं. धारा 370 हटने के बाद इस साल मार्च तक जम्मू-कश्मीर में केंद्र के 890 कानून लागू हो चुके हैं. केंद्र की तरफ से 50 हजार करोड़ के विकास कार्य जारी हैं. जम्मू-कश्मीर के लाखों लोगों को आयुष्मान भारत योजना का लाभ मिला. इतना ही नहीं आर्टिकल 370 खत्म होने के बाद पहली बार घाटी में पंचायत चुनाव भी हुए जिसमें कश्मीर के लोगों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया.


हकीकत की जमीन पर उतरे ख्वाब


ये महज कागजी आंकड़ा नहीं बल्कि हकीकत की जमीन पर उतरे वो ख्वाब हैं, जो पीएम मोदी ने जन्नत के बाशिंदों के लिए बरसों पहले देखे थे. नरेंद्र मोदी का मिशन कश्मीर तीन दशक पहले शुरू हो चुका था. 31 साल पहले 1992 में नरेंद्र मोदी जब कश्मीर यात्रा पर आए थे तब वो गुजरात के मुख्यमंत्री भी नहीं थे. बस बीजेपी के एक आम कार्यकर्ता थे. जो बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी की एकता यात्रा में उनके सारथी बन कर आए थे. 26 जनवरी 1992 को मुरली मनोहर जोशी और नरेंद्र मोदी, श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराने पहुंचे थे. तब किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि बीजेपी का एक अदना सा कार्यकर्ता तीन दशक बाद भारत का प्रधानमंत्री बनकर कश्मीर की तस्वीर और तकदीर बदल कर रख देगा.


3 दशक पहले जब तिरंगा लेकर कश्मीर पहुंचे मोदी


तीन दशक पहले जिस श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराने के लिए नरेंद्र मोदी को संगीनों के साए से होकर गुजरना पड़ा था, आज उन्हीं की कोशिशों की बदौलत श्रीनगर ही नहीं बल्कि कश्मीर के कोने-कोने में हिंदुस्तान का राष्ट्रीय झंडा शान से लहरा रहा है और हिंदुस्तान ही नहीं दुनिया के बड़े-बड़े देशों के डेलिगेशन बदले कश्मीर का गवाह बन रहे हैं.


370 हटने से आईं ये तब्दीलियां


जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटने के बाद पिछले चार साल के दौरान जो बड़ी तब्दीलियां हुईं, उन्हें एक झलक में देखें तो पहले अक्सर सड़कों पर पत्थरबाजी होती थी और अब ऐसी घटनाएं दिखाई नहीं देतीं. पहले युवा आतंकवाद के दलदल में धकेले जा रहे थे और अब उन्हें रोजगार दिए जा रहे हैं. पहले हर दूसरे दिन आतंकी वारदात होती थी और अब आतंकियों का खात्मा किया जा रहा है. पाकिस्तान से भेजे जाने वाले आतंकवादियों की वजह से घाटी में जिन उद्योग-धंधों ने अपने दरवाजे बंद कर लिए थे. अब यहां अमन और शांति बहाल होने के बाद वो फिर से खुल रहे हैं. हाल के दिनों में जम्मू-कश्मीर में ट्रेड सेट अप के लिए पचास हजार से ज्यादा एप्लिकेशन मिले हैं जो वादी में बेहतरी के बदलाव का सबसे बड़ा सबूत है.


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