Middle East Europe Eco Corridor: G-20 समिट में इंटरनेशनल लेवल के बड़े प्रोजेक्ट्स के बारे में बड़ा ऐलान किया गया है. अमेरिका, भारत, सऊदी अरब और यूएई के साथ कई देश मिलकर आपसी कनेक्टिविटी को बेहतर करना चाहते हैं. इसके लिए भारत मिडिल ईस्ट यूरोप ईको कॉरिडोर प्रोजेक्ट (India Middle East Europe Eco Corridor) का ऐलान किया गया है. इस प्रोजेक्ट के तहत भारत और मिडिल ईस्ट के देशों से होते हुए यूरोप-अमेरिका को भी कनेक्ट किया जाएगा. मिडल ईस्ट देशों के बीच रेल लाइन बनाई जाएगी और फिर पोर्ट के जरिए इसे भारत से जोड़ा जाएगा. इस बड़े ऐलान से चीन के प्रोजेक्ट बीआरआई को तगड़ा झटका लगा है. भारत पहले से ही बीआरआई का विरोध करता रहा है.


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कॉरिडोर में भारत का होगा अहम रोल


जान लें कि इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट बनाने में भारत एक्सपर्ट है इसलिए भारत को इसका हिस्सा बनाया गया है. भारत रेल पटरियां बिछाने में मदद करेगा. रेल और पोर्ट नेटवर्क बनाने के प्रोजेक्ट में अमेरिका और यूरोपीय देश भी शामिल हैं और इसकी मदद से मिडल ईस्ट में चीन के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को काउंटर किया जाएगा.


भारत के लिए कॉरिडोर अहम क्यों?


बता दें कि इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप ईको कॉरिडोर प्रोजेक्ट से चीन के खिलाफ भारत को डिप्लोमेटिक और रणनीतिक बढ़त मिलेगी और एक बार ये रास्ता तैयार हो गया तो मिडल ईस्ट के साथ यूरोप-अमेरिका तक कम समय में सामान भेजने और ट्रेड बढ़ाने में भारत को सहूलियत होगी. इससे कम समय में सामान भेजने और ट्रेड बढ़ाने में आसानी होगी.


पीएम मोदी ने कही बड़ी बात


इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप ईको कॉरिडोर प्रोजेक्ट के ऐलान के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों का बयान सामने आया है. मैंक्रों ने कहा कि कॉरिडोर के लिए निवेश को तैयार हैं. हम इसे जल्द पूरा करना चाहते हैं. कॉरिडोर से नए अवसर पैदा होंगे. वहीं, पीएम मोदी ने कहा कि भारत मिडिल ईस्ट यूरोप कॉरिडोर को मंजूरी मिल गई है. इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देंगे. भारत, सऊदी अरब और UAE शामिल हो गए हैं.