नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) के चलते देशभर में लागू लॉकडाउन के दौरान गंगा नदी (Ganga River) पहले से अधिक साफ हुई है और नदी के पानी में घुलनशील ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ गई है. राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने यह जानकारी दी है. 


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उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के कुछ ही दिन बाद हमने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और संबंधित राज्यों के साथ बैठक की और उनसे नदी जल की गुणवत्ता की निगरानी के संबंध में अध्ययन पर चर्चा की. इसके आधार पर जल गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों ने अप्रैल में गंगा नदी के जल के अलग-अलग स्थानों से सैंपल एकत्र किए और इन्हें स्टडी के लिए भेजा गया. एनएमसीजी के महानिदेशक ने कहा कि इसकी प्रारंभिक रिपोर्ट हमें प्राप्त हो गई है और इससे स्पष्ट हुआ है कि गंगा नदी पहले की तुलना में साफ हुई है. उन्होंने कहा कि गंगा नदी के जल में अनेक स्थानों पर घुलनशील ऑक्सीजन का स्तर काफी बढ़ गया है जो जल के साफ होने का स्पष्ट संकेत है.


हर की पौड़ी (हरिद्वार) का नजारा.

मिश्रा ने कहा कि कई स्थानों पर नदी जल में जैविक ऑक्सीजन मांग (बीओडी) का स्तर पहले की तुलना में कम हुआ है. इससे सिद्ध होता है कि नदी जल की गुणवत्ता बेहतर हुई है. उन्होंने बताया कि जल में घुलनशील ऑक्सीजन का स्तर 5 मिलीग्राम/लीटर से अधिक होना चाहिए और बीओडी का स्तर 3 मिलीग्राम/लीटर से कम होना चाहिए. इन दोनों मानकों पर गंगा नदी के जल की गुणवत्ता पहले से बेहतर हुई है. 


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गौरतलब है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, ज्यादातर निगरानी केद्रों में गंगा नदी के पानी को नहाने लायक पाया गया है. सीपीसीबी के वास्तविक समय के निगरानी आंकड़ों के अनुसार, गंगा नदी के विभिन्न बिन्दुओं पर स्थित 36 मॉनिटरिंग यूनिट्स में करीब 27 पॉइंट पर पानी की गुणवत्ता नहाने और वन्यजीव तथा मछली पालन के अनुकूल पाई गई.


एनएमसीजी के महानिदेशक ने कहा कि लॉकडाउन लागू होने के दौरान जल-मल शोधन संयंत्र (एसटीपी) का परिचालन सुचारू रूप से हो रहा है और नदी जल के साफ होने के कारणों में यह भी महत्वपूर्ण है. ऐसा इसलिए क्योंकि संयंत्र सुचारू रूप से चलने से नदी में जल मल नहीं जा सका. उन्होंने यह भी बताया कि 20 अप्रैल से जल मल शोधन संयंत्र (एसटीपी) एवं इससे जुड़ी परियोजनाओं पर 7-8 स्थानों पर काम भी शुरू हो गया है. इनमें खास तौर पर कानपुर और प्रयागराज शामिल हैं.


लॉकडाउन के दौरान पंद्रह दिन पहले हर की पौड़ी (हरिद्वार) का नजारा.

राजीव रंजन मिश्रा ने बताया कि लॉकडाउन के द्वितीय चरण में नमामि गंगे के कार्यों को सशर्त अनुमति मिलने पर राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने ऐसे परियोजना स्थलों पर प्रशासन से अनुमति लेकर काम शुरू किया जहां श्रमिकों की उपलब्धता थी. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन का उपयोग करते हुए एनएमसीजी ने आईआईटी, राज्यों एवं इंजीनियरों के सहयोग से कई परियोजनाओं का डिजाइन तैयार करने का काम पूरा कर लिया है जिसमें काफी समय लगता है .


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