श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में आतंकी लगातार आम लोगों को निशाना बना रहे हैं और साथ ही लाइन ऑफ कंट्रोल के जरिए भारतीय सीमा में घुसपैठ की लगातार कोशिशें हो रही हैं. इस बीच सेना भी लगातार एक्शन में नजर आ रही है और जहां एक तरफ आतंकियो के सफाया करने में लगी है, वहीं दूसरी तरफ आम लोगों को ये विश्वास दिला रही है कि आतंकियों के मंसूबे कभी कामयाब नहीं होने देगी.


कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पाण्डेय से खास बात


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Zee Media के सवांददाता मनीष शुक्ला ने GOC 15 कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पाण्डेय से Exclusive बातचीत की. जनरल डीपी पाण्डेय ने घाटी में सक्रिय आतंकी, घुसपैठ की बढ़ती संख्या और आम लोगों की सुरक्षा पर खुलकर बात की.


सवाल- आतंकी लगातार आम लोगों को निशाना बना रहे हैं, जिसमें कश्मीरी पंडित और सिख शामिल हैं?


जवाब- पिछले कुछ समय से कश्मीर में हालात काफी अच्छे थे. पीस और स्टेबिलिटी का काफी अच्छा माहौल तैयार हो गया था. लेकिन हमारे देश के दुश्मन नहीं चाहते कि कश्मीर के अंदर शांति का माहौल रहे. इसके लिए वो कुछ भी करने के लिए तैयार रहते हैं. ये उनकी साजिश है और मुझे यकीन है कि ये एक अस्थाई फेज है, उसको हम काबू में कर लेंगे. आज जो माहौल हो गया है वो एक सोची समझी रणनीति के हिसाब से है. दुश्मनों ने एक हाइब्रिड टेररिस्ट का कॉन्सेप्ट तैयार किया है, जिसके अंदर पिस्टल का इस्तेमाल कर किसी को भी मार देते हैं. ये सब सोची समझी रणनीति है और इसके ऊपर काम चल रहा है. मुझे यकीन है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस पूरी तरह सक्षम है और वो इस चीज को कंट्रोल कर लेगी.


सवाल- आतंकी हमले के लिए पिस्टल जैसे छोटे हथियार का इस्तेमाल कर रहे हैं. क्या इसके पीछे आतंकियो की खास रणनीति है?


जवाब- इन्हें मालूम है कि इनकी बाकी रणनीति काम नहीं आ रही है और बड़े हथियार ले कर चलेंगे तो पकड़े जाएंगे. जैसे ही कोई हथियार लेकर चलता है तो हमें इनपुट मिलती है. लोकल लोग हमें बताते हैं कि जनाब यहां एक आतंकी घूम रहा है और वहां पर एनकाउंटर कर आतंकी को मार दिया जाता है. हाइब्रिड टेररिस्ट कॉन्सेप्ट में नौकरीपेशा, दुकान पर काम करने वाला या कॉलेज स्टूडेंट थोड़े पैसे के लिए टॉरगेट किलिंग करता है और इसके बाद एक सामान्य इंसान की तरह अपने काम पर लौट जाता है. ऐसे व्यक्ति को पकड़ना थोड़ा मुश्किल होता है, क्योंकि उसके क्रिमिनल रिकॉर्ड के बारे में पुलिस को भी पता नहीं होता, लेकिन हमें लगता है कि हम इसे भी सॉल्व कर लेंगे.


सवाल- अभी घाटी में कितने आतंकी सक्रिय हैं और आने वाले समय में घाटी के हालात कब तक बेहतर होंगे?


जवाब- इस साल पहले से काफी सुधार है और घुसपैठ के मामलों में काफी गिरावट है. इस साल घुसपैठ की करीब 20 घटनाएं हुई हैं, जो पिछले साल के मुकालबे काफी कम हैं. हालांकि लांच पैड आतंकियों से भरे पड़े हैं और पिछले तीन महीने से उनकी कोशिशें जारी हैं, लेकिन हम उनकी कोशिशें नाकाम कर रहे हैं. उरी के अंदर हमने एक विदेशी आतंकी को मारा और एक को जिंदा पकड़ा है, जबकि चार वापस LoC के उस पार भाग गए थे. हमने उसी इलाके में आतंकियों के पास से भारी मात्रा में हथियार जब्त किए थे. ये सारी कार्रवाई LoC पर चल रही है. हिंटरलैंड में पिछले 2-3 साल के मुकाबले टेरर-रिक्रूटमेंट भी काफी कम हुई है और कश्मीर में विदेशी आतंकियो की संख्या भी कम हुई है. पहले 250-300 कुल आतंकी होते थे, वो आज की संख्या में 200 से नीचे चल रही है. हमारी कोशिश यही है कि 200 से कम रहे ताकि और तेजी के साथ हालात सुधारा जा सके.


सवाल- ये कहा जा रहा है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी हथियारों की पहुंच आतंकियों के पास हो गई है. ये हथियार PoK में आतंकियो तक आ गए हैं. आप कश्मीर पर इसका कोई असर देखते हैं?


जवाब- हमें हर चीज देखनी पड़ती है कि बाहर क्या हो रहा है और PoK में क्या हो रहा है. यहां शांति है तो जाहिर है हमारे देश के दुश्मनों को ये चीज अच्छी नहीं लगेगी. ऐसे में वो कुछ न कुछ स्ट्रेटेजी बनाएंगे और हालात खराब करने की कोशिश करेंगे, लेकिन हमारा काम है कि हम LoC पर डोमिनेंट (Dominant) रहें. वो चल रहा है और काउंटर टेरर ऑपेरशन की भी कार्रवाई चल रही है.


सवाल- सीमा पर अचनाक घुसपैठ की संख्या बढ़ गई है और लगातार घुसपैठ की कोशिश हो रही है. इसके पीछे क्या वजह है?


जवाब- लॉन्च पैड पहले से भरे थे, लेकिन उनको इस बात का अंदेशा नहीं था कि इतनी तेजी से डेवेलपमेंट होगा और एक स्थिरता का माहौल होगा. जिस तरह टूरिज्म हो रहा है और फंक्शन हो रहे हैं. इतनी किलिंग के बाद भी ऐसा नही है कि यहां कैंसिलेशन हो रहे हैं और ये देखकर हमारे दुश्मन को परेशानी होती है. दुश्मन हमारा बाहर भी है और कुछ अंदर भी हैं. मुझे लगता है कि ये उनका मकसद था कि शांति को भंग किया जाए, लेकिन आपको ये समझना चाहिए कि उनको ये मालूम है कि ये सिचुएशन उनके हाथ से अब निकल गया है. ये कम्युनल हार्मोनी को खराब करने की कोशिश करेंगे. मगर यहां की आवाम सब समझती है. मुझे ये बहुत अच्छा लगता है कि हमारी नेशनल मीडिया ने काफी सोच समझदारी के साथ काम किया है और पिछले 2-3 हफ्ते में जो कारवाई हुई है, उसको भुनाने की कोशिश नहीं की है. मुझे लगता है कि इससे एक पॉजिटिव असर पड़ेगा.


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