चंडीगढ़ प्रशासन की अनोखी पहल, कैदियों के हाथों से बने लजीज व्यंजन का लुत्फ उठाएं
अब चंडीगढ़ के बुड़ैल जेल में बंद कैदियों के हाथों से बने लजीज व्यंजन, मिठाई और नमकीन का स्वाद लेने के लिए आपको जेल नहीं बल्कि सेक्टर-22 सृजन में जाना होगा.
चंडीगढ़: जेल की चार दीवारी में बंद कैदीयों को सुधारना और उसके भीतर के हुनर को पहचान दिला कर उनमें बदलाव लाना कुछ इसी सोच के साथ चंडीगढ़ पुलिस काम कर रही है. चंडीगढ़ पुलिस ने प्रशासन के सहयोग से सेक्टर 22 में एक शोरूम "सृजन" खोला है. शोरूम से आप जेल में बंद कैदियों द्वारा बनाए गए समान की खरीददारी कर सकते है. आईजी जेल ओपी मिश्रा ने कहा कि इस तरह की पहल के साथ मॉडल जेल में कैदियों को हुनरमंद बनाकर उन्हें समाज से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है.
चंडीगढ़ शहर के नामी दुकानों की मिठाई, नमकीन और पकवानों का तो स्वाद आपने चखा ही होगा. अब बुड़ैल जेल में बंद कैदियों के हाथों से बने लजीज व्यंजन, मिठाई और नमकीन का स्वाद लेने के लिए आपको जेल नहीं बल्कि सेक्टर-22 सृजन में जाना होगा. यहीं नहीं, आप घर बैठे ऑनलाइन ऑर्डर भी कर सकते हैं. इसके लिए आपको सिर्फ बुडै़ल मॉडल जेल की वेबसाइट पर लॉग इन करना है. इसके बाद आप ऑनलाइन अपने मनपसंद अलग-अलग व्यजंन बुक कर सकते हैं.
बता दें कि यह खाना जेल का स्टाफ आपके घर तक पहुंचाएगा. इसमें मिनिमम आर्डर 500 रुपए तक रखा गया है. इस रेट में जीएसटी भी शामिल किया गया है. जेल प्रशासन ने स्पेशल मेन्यू भी तैयार किया है. मेन्यू में स्पेशल मिठाइयों के साथ ही बालूशाही, बेसन बर्फी, गुलाब जामुन समेत कई मिठाइयां और नमकीन की वैरायटी शामिल हैं. बता दें कि देश में चंडीगढ़ की यह एक मात्र मॉडल जेल है जिसकी वेबसाइट पर जाकर आप अपनी पसंद की मिठाई घर बैठे मंगवा सकते है.
आपको बता दें कि कुछ समय से चंडीगढ़ की मॉडल जेल में कैदियों को रोजमर्रा की जरूरतों में काम आने वाला सामान बनाना सिखाया जा रहा है जिसे जेल के बाहर बनी कैंटीन में बेचा जाता है लेकिन चंडीगढ़ पुलिस ने एक कदम और उठाते हुए चंडीगढ़ में शोरूम खोल दिया है ,जिसमें कैदीयों दृारा तैयार की मिठाइयां, फर्नीचर का सामान, मोमबत्तियां और अन्य सजावटी सामान रखा गया है जिसे कोई भी जाकर खरीद सकता है. इतना ही नहीं सामान की बिक्री से जो फायदा होगा उसका कुछ हिस्सा कैदियों को भी दिया जाएगा.
शोरूम के उद्धाटन के दौरान चंडीगढ प्रशासक के सलाहकार मनोज परिदा ने कहा कि जेल का मतलब अपराधी को सजा देना नहीं बल्कि उसे बुराई से दूर करना है और एक अच्छे रास्ते पर चलाना है और ये तभी मुमकिन है कि जब हम उसके हुनर को पहचान कर और उसे समाज से जुड़ने का मौका दें उन्होंने कहा कि यह प्रोजेक्ट देश के दूसरी जेलों के लिए भी उदाहरण साबित होगा ताकि वहां के कैदियों की जिंदगी को भी सुधारा जा सके.