Madhabi Puri Buch Appointments: केंद्र सरकार को अगले कुछ महीनों में चार बड़ी नियुक्तियों पर फैसला करना है, जिसमें सेबी चीफ माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) का भी नाम शामिल हैं. इसके अलावा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक जीएस मुर्मू (GS Murmu) की जगह भी नियुक्ति करना है, जिनका कार्यकाल नवंबर में खत्म होने वाला है. केंद्र के खर्च और खातों पर नजर रखने के लिए मोदी सरकार के किसी भरोसेमंद नौकरशाह को यह अहम जिम्मेदारी मिलने की संभावना है.


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EBI चीफ माधवी बुच को सरकार देगी एक और चांस!


टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के तौर पर जीएस मुर्मू (GS Murmu) को दोबारा कार्यकाल नहीं दिए जाने की संभावना है. लेकिन, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास, मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन और सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) को फिर से नियुक्त किया जा सकता है. सीएजी की नियुक्ति के बाद सरकार को यह तय करना होगा कि वह दिसंबर में शक्तिकांत दास को आरबीआई गवर्नर के तौर पर एक और कार्यकाल देना चाहती है या इस अहम पद के लिए किसी और की तलाश करना चाहती है.


2018 में आरबीआई गवर्नर बने थे शक्तिकांत दास


सरकार के साथ तीखी नोकझोंक और दिसंबर 2018 में उर्जित पटेल (Urjit Patel) के अचानक इस्तीफे के बाद सरकार ने शक्तिकांत दास को तीन साल का कार्यकाल दिया गया था. इसके बाद 2021 में उन्हें दूसरा कार्यकाल दिया गया था. व्यापक रूप से देखा जाता है कि उन्होंने वित्तीय क्षेत्र को अच्छी तरह से मैनेज किया है. इसके साथ ही केंद्र के साथ उनके संबंध भी अच्छे रहे हैं. उनके कार्यकाल में ऐसा कुछ नहीं हुआ है, जैसा उनके पहले 2 आरबीआई गवर्नर के कार्यकाल के दौरान हुआ था.


वी अनंत नागेश्वरन को फिर मिलेगा मौका?


आरबीआई गवर्नर की नियुक्ति के एक महीने बाद सरकार के सामने फिर से ये सवाल होगा कि क्या मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी अनंत नागेश्वरन के फिर से मौका दिया जाए या नहीं. इसके कुछ सप्ताह बाद ही बजट पेश किया जाएगा, इसलिए सरकार पहले ही तय कर सकती है कि उसके शीर्ष अर्थशास्त्री को नया कार्यकाल मिलने की संभावना है या नहीं. सीईए बजट के लिए महत्वपूर्ण तकनीकी इनपुट प्रदान करता है और वित्त मंत्रालय के आर्थिक प्रभाग में अपने सहयोगियों के साथ आर्थिक सर्वेक्षण भी लिखता है.


2022 में हुई थ माधबी बुच की नियुक्ति


सरकार को चौथी नियुक्ति सेबी चीफ की करनी है और यह सरकार के लिए सबसे बड़ा चैलेंज हो सकता है, क्योंकि माधबी पुरी बुच को लेकर विवाद है. माधबी बुच पर सेबी चीफ रहने के दौरान अनियमितता और हितों के टकराव के आरोप लगे हैं. हालांकि, उन्होंने इन आरोपों से इनकार किया है, जबकि सरकार में इस बात पर चर्चा चल रही है कि सेबी जैसे रेगुलेटर का कार्यभार संभालने के लिए सिविल सेवक सबसे उपयुक्त कैसे हैं. पूर्व बैंकर माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) को 1 मार्च 2022 को तीन साल के लिए सेबी प्रमुख नियुक्त किया गया था. वह नए कार्यकाल के लिए पात्र हैं. उनके कम से कम तीन पूर्ववर्ती जीएन बाजपेयी, एम दामोदरन और सीबी भावे तीन साल के कार्यकाल के लिए पद पर रह चुके हैं.