नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को केंद्र सरकार (Central Government), राजस्थान (Rajasthan), और गुजरात (Gujarat) सरकार से पूछा कि धरती पर उड़ने वाले सबसे बड़े और विलुप्तप्राय पक्षी ‘ग्रेट इंडियन बस्टर्ड’ (Great Indian Bustard) को बचाने के लिए हाई टेंशन बिजली के तारों को अंडर ग्राउंड क्यों नहीं किया जा सकता.


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चीफ जस्टिस एस ए बोबडे (CJI S A Bobde) की अध्यक्षता वाली बेंच ने पूर्व आईएएस अधिकारी रणजीतसिंह तथा अन्य की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.


आपातकालीन कदम उठाने के लिए लगाई थी गुहार


इस याचिका में जीआईबी और ‘लेसर फ्लोरिकन’ पक्षियों की संख्या बढ़ाने के वास्ते आपातकालीन कदम उठाने के लिए न्यायालय के हस्तक्षेप का अनुरोध किया गया था. बेंच में जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यन भी शामिल थे. केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने बेंच को बताया कि हाई वोल्टेज वाले बिजली के तारों को भूमिगत करने में तकनीकी समस्या है.


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मंत्रालय ने कहा कि दुनिया के अन्य देशों में भी यह नहीं हो सका है. बेंच ने कहा, 'आप बताइये कि हाई वोल्टेज लाइन भूमिगत क्यों नहीं हो सकती.' सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी रणजीत सिंह और अन्य ने पक्षियों की इन दोनों प्रजातियों के संरक्षण और वृद्धि को लेकर तत्काल आपात प्रतिक्रिया योजना के लिए अदालत से निर्देश देने का आग्रह किया है.


50 साल में 82% तक घटी संख्या 


उन्होंने अपनी याचिका में उल्लेख किया है कि पिछले 50 वर्षों में जीआईबी की संख्या 82% तक घट गई है. वर्ष 1969 में इनकी संख्या जहां 1260 थी वहीं 2018 में ये 100-150 रह गईं. जीआईबी को गोडावन, सोन चिरैया, सोहन चिड़िया जैसे नामों से भी जाना जाता है.



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