Gujarat Assembly Election 2022: गुजरात चुनाव से क्रिकेटर रविंद्र जडेजा के घर में सियासी जंग, पत्नी रिवाबा के खिलाफ बहन नयनाबा बनीं चुनौती
Rivaba Jadeja and Naynaba Jadeja: भारतीय क्रिकेट टीम से फिलहाल बाहर चल रहे रविंद्र जडेजा के लिए गुजरात असेंबली चुनाव में अपनी पत्नी रिवाबा को उतारना भारी पड़ रहा है. उनकी पत्नी के सामने बड़ी बहन ही सबसे बड़ी चुनौती बन गई हैं.
Rivaba Jadeja and Naynaba Jadeja in Gujarat Assembly Election 2022: गुजरात में होने जा रहे असेंबली चुनाव (Gujarat Assembly Election 2022) के पहले चरण के इलेक्शन में अब बस 4 दिन शेष बचे हैं. पिछले 27 सालों से सत्ता में जमी बीजेपी को हटाने के लिए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी पूरा जोर लगाए हुए हैं. वहीं बीजेपी अपनी वापसी के लिए जीजान से जुटी है. इस चुनाव में गुजरात की जिस सीट की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, वह जामगनर उत्तर की सीट है. इस सीट पर भारतीय किक्रेट के स्टार रविंद्र जडेजा (Ravindra Jadeja) की पत्नी रिवाबा जडेजा (Rivaba Jadeja) बीजेपी के टिकट पर इलेक्शन लड़ रही हैं. रिवाबा को चुनौती कहीं ओर से नहीं बल्कि अपनी सगी ननद यानी रविंद्र जडेजा की बड़ी बहन नयनाबा जडेजा (Naynaba Jadeja) से मिल रही है, जो इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी दीपेंद्र सिंह जडेजा के प्रचार में जोर-शोर से लगी हैं.
पुरानी कांग्रेस वर्कर हैं नयनाबा
नयनाबा जडेजा (Naynaba Jadeja) लंबे वक्त से कांग्रेस से जुड़ी हुई हैं. कांग्रेस ने असेंबली चुनाव में उन्हें स्टार प्रचारक बनाया है और वे जामनगर समेत बाकी इलाकों में भी पार्टी के लिए प्रचार कर रही हैं. जामनगर उत्तर सीट पर वे कांग्रेस प्रत्याशी दीपेंद्र सिंह जडेजा के लिए जमकर प्रचार कर रही हैं. अपनी भाभी और बीजेपी उम्मीदवार रिवाबा जडेजा को वे ग्लैमर गर्ल बताती हैं. अपने प्रचार में वे कह रही हैं कि रिवाबा (Rivaba Jadeja) कोई लीडर नहीं बल्कि एक सेलेब्रेटी है, जिसे केवल वोट बटोरने के लिए चुनावी मैदान में उतारा गया है. अगर वे चुनाव जीत जाती हैं तो उसके बाद उनका जनता से कोई वास्ता नहीं होगा.
अपनी पार्टी कांग्रेस की खुलकर तारीफ करते हुए नयनाबा जडेजा (Naynaba Jadeja) कहती हैं, ‘मेरी अपनी विचारधारा है और उस पार्टी के साथ हूं जिसकी मैं सराहना करती हूं.’ बीजेपी पर निशाना साधते हुए वे कहती हैं कि भगवा पार्टी केवल वादे कर सकती है, वह अपने वादे कभी पूरे नहीं करती. चाहे रोजगार का मामला हो या शिक्षा-स्वास्थ्य का. बीजेपी ने प्रदेश में कोई काम नहीं किया है. वे कहती हैं कि जामनगर उत्तर सीट से कांग्रेस की जीत होगी और जनता के सारे काम पूरे होंगे.
क्या हैं जामनगर सीट के समीकरण?
जामनगर उत्तर सीट पर पहली बार चुनाव 2012 में हुए थे, जिसमें धर्मेंद्रसिंह जडेजा उर्फ हकुभा ने जीत हासिल की. वर्ष 2017 में हकुभा पार्टी बदलकर बीजेपी में चले गए और फिर से जीत हासिल की. इस बार बीजेपी ने रिवाबा जडेजा (Rivaba Jadeja) की खातिर हकुभा का टिकट काट दिया है. जिसके बाद से वे घर बैठे हैं. नयनाबा समेत कांग्रेस के बाकी नेताओं को उम्मीद है कि बीजेपी के मौजूदा विधायक का टिकट कटने का लाभ कांग्रेस प्रत्याशी को मिलेगा. इस सीट पर आम आदमी पार्टी से कर्षण करमुर चुनाव लड़ रहे हैं, जो पहले बीजेपी में थे लेकिन वहां से टिकट न मिलने पर बाद में AAP में शामिल हो गए.
राजपूत-मुस्लिम मतदाताओं की बहुलता
इस सीट पर राजपूत और मुस्लिम मतदाताओ की संख्या अच्छी खासी है, जबकि चुनाव लड़ रहे बीजेपी और कांग्रेस के दोनों प्रत्याशी राजपूत समुदाय से हैं. ऐसे में डिसाइडिंग फैक्टर मुस्लिम और बाकी बिरादरियां बन गई हैं. इस संघर्ष में बाजी किसके हाथ लगेगी, इसका फैसला 8 दिसंबर को होगा, जब चुनाव का रिजल्ट घोषित किया जाएगा.
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