इस राज्य में प्राथमिक शिक्षकों को हफ्ते में 45 घंटे काम करने का आदेश, विरोध होने पर फैसला रद्द
इस महीने की शुरुआत में प्राथमिक शिक्षा निदेशक की अधिसूचना को गुजरात सरकार ने रद्द कर दिया है. इस फैसले के तहत राज्य के शिक्षकों को एक सप्ताह में 45 घंटे काम करने का आदेश दिया गया था.
गांधीनगर: गुजरात सरकार ने भारी हंगामे के बाद आखिरकार बुधवार को उस अधिसूचना को रद्द कर दिया, जिसमें प्राथमिकी विद्यालयों के शिक्षकों को शिक्षा के अधिकार (RTE) अधिनियम,2009 के तहत अनिवार्य रूप से हर दिन आठ घंटे काम करने के लिए कहा गया था. प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने इस महीने की शुरुआत में जारी अधिसूचना में कहा था कि प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों को सोमवार से शुक्रवार तक आठ घंटे और शनिवार को पांच घंटे काम करना होगा. अधिसूचना में आरटीई अधिनियम के एक नियम का हवाला दिया गया था, जिसमें कहा गया है कि प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों का सप्ताह में 45 घंटे काम करना आवश्यक है.
टीचर्स अपनी मर्जी से कर सकेंगे काम
गुजरात मंत्रिमंडल की बैठक के बाद यह अधिसूचना रद्द करने का फैसला किया गया. बैठक में शामिल होने के बाद राज्य के शिक्षा मंत्री भूपेंद्र सिंह चुडासमा (Bhupendrasinh Chudasama) ने गांधीनगर में पत्रकारों से कहा, 'मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान, राज्य सरकार ने प्राथमिक शिक्षा निदेशक द्वारा जारी इस अधिसूचना को रद्द करने का फैसला किया है. शिक्षक अपने काम को संतोषजनक ढंग से पूरा करने के लिए जितना समय चाहिए उतने समय तक काम कर सकते हैं.'
कांग्रेस ने किया था विरोध
बताते चलें कि अगर यह आदेश लागू होता तो सरकारी प्राथमिक स्कूलों में काम करने वाले शिक्षकों को सामान्य कामकाजी घंटों से लगभग दो घंटे अधिक काम करना पड़ता. शिक्षकों का प्रतिनिधित्व करने वाली विभिन्न यूनियन ने कामकाजी घंटों में होने वाली इस वृद्धि का विरोध किया था और सरकार से अधिसूचना वापस लेने पर विचार करने को कहा था. साथ ही गुजरात में विपक्षी कांग्रेस ने भी इस आदेश को वापस लेने की मांग की थी.
इस अधिसूचना के रद्द होने के बाद राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष घनश्याम पटेल ने कहा, 'हमने राज्य सरकार से यह अधिसूचना वापस लेने का अनुरोध किया था. यह दो लाख प्राथमिक शिक्षकों के आत्मसम्मान का मामला था. मैं खुश हूं कि सरकार ने अधिसूचना वापस लेने का फैसला किया है.
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