Gujarat: Lord Jagannath की Rath Yatra शुरू, Covid के चलते 19 किलोमीटर के रास्ते में लगा गया Curfew
अहमदाबाद (Ahmedabad) के करीब 400 साल पुराने भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) के मंदिर से उनकी रथ यात्रा शुरू हो गई है. भीड़ को रोकने के लिए 19 किलोमीटर के यात्रा मार्ग में कर्फ्यू लगा दिया गया है.
अहमदाबाद: गुजरात (Gujarat) के अहमदाबाद शहर में भगवान जगन्नाथ की 144वीं रथयात्रा 12 जुलाई, सोमवार की सुबह शुरू हो गई है. हालांकि कोविड-19 महामारी के चलते भक्तों को इसमें भाग लेने की अनुमति नहीं दी गई है. वहीं लोगों को यात्रा में शामिल होने से को रोकने के लिए यात्रा (Yatra) के रास्ते में कर्फ्यू लगा दिया गया है, जिससे हर साल जैसा उमंग का माहौल नजर नहीं आ रहा है. हालांकि यात्रा निकालने के सारे रस्मो-रिवाज हमेशा की तरह निभाए जा रहे हैं.
छोटा हुआ काफिला
आमतौर पर अहमदाबाद में निकाली जाने वाली भगवान जगन्नाथ की इस रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra) में करीब 100 ट्रक, कई हाथी, अखाड़े और गायन मंडलियां शामिल होती थीं, लेकिन इस बार यात्रा में केवल 3 रथ हैं, जिन्हें खलासी समुदाय के करीब 100 युवा खींच रहे हैं. इसके अलावा 4 से 5 अन्य वाहन हैं.
राज्य के गृह मंत्री प्रदीप सिंह जडेजा ने पत्रकारों को बताया कि देवी-देवताओं के लिए सड़कों पर लोगों की भीड़ जुटने की आशंका को देखते हुए रथ यात्रा के पूरे 19 किलोमीटर के रास्ते पर सुबह से दोपहर तक का कर्फ्यू लगा दिया गया है.
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गृह मंत्री ने की मंगला आरती
भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के रथों की यात्रा सुबह करीब 7 बजे जमालपुर क्षेत्र में स्थित 400 साल पुराने जगन्नाथ मंदिर से शुरू हुई. इस मौके पर गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और उप-मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने पाहिंद विधि संपन्न कराई. इस विधि में प्रतीकात्मक रूप से रथ निकलने का रास्ता साफ किया जाता है. वहीं देवी-देवताओं की मूर्तियों को रथों पर रखने से पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सुबह करीब 4 बजे मंदिर में दर्शन किए और उसके बाद वे सपविरवार मंगला आरती में भी शामिल हुए.
सशस्त्र बलों की 9 कंपनियां तैनात
सिटी पुलिस के मुताबिक चूंकि रथ यात्रा सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील माने जाने वाले कुछ क्षेत्रों से भी गुजरती है इसलिए किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए रास्ते पर केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की 9 कंपनियों समेत लगभग 23,000 सशस्त्र जवानों को तैनात किया गया है. हर साल यह रथयात्रा लगभग 12 घंटे में 19 किमी की दूरी तय करके भगवान जगन्नाथ मंदिर वापस पहुंचती है, जिसमें सरसपुर में एक घंटे का भोजन अवकाश भी शामिल है. हालांकि इस बार अधिकारियों ने सुनिश्चित किया है कि सरसपुर में बड़ी भीड़ जमा नहीं होने दी जाएगी.