Hanuman ji virajman found in Gyanvapi: देशभर की सुर्खियों में बने वाराणसी (Varanasi) के बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मामले (Gyanvapi Row) को लेकर ज़ी न्यूज़ (ZEE NEWS) की एक्सक्लूसिव रिपोर्टिंग जारी है. इस बीच ज़ी न्यूज़ को ज्ञानवापी (Gyanvapi) परिसर की 154 वर्ष पुरानी दुर्लभ तस्वीर मिली है. ये ऐतिहासिक तस्वीर एक बड़ा दस्तावेज होने के साथ बहुत बड़ा खुलासा कर रही है.


ज्ञानवापी में साक्षात विराजमान हनुमान जी


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ये तस्वीर साल 1868 में ब्रिटिश फोटोग्राफर सैमुअल बॉर्न ने ली थी. इस तस्वीर से साफ है कि मुस्लिम पक्ष जिस ज्ञानवापी मस्जिद परिसर पर अपना दावा करता है उसके इतर ये तस्वीर कुछ और कहानी बयान करती है. इस तस्वीर में ज्ञानवापी परिसर में बाबा के प्रमुख सेवक नंदी और भगवान हनुमान की मूर्ति के साथ परिसर में मौजूद खम्बों पर हिन्दू शिल्पकृतियां और घण्टा लगा हुआ दिखाई दे रहा है. यानी साफ है कि ज्ञानवापी में भगवान शिव के 11वें रुद्रावतार हनुमान जी भी विराजमान है. इस तरह से ये तस्वीर हिन्दू पक्ष के ज्ञानवापी परिसर में हिन्दू प्रतीक चिन्हों और देवी-देवताओं की मूर्ति होने के दावों को और पुख्ता करती है. 


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कहां से मिला ये ऐतिहासिक प्रमाण?


आपको बता दें कि इससे पहले विवादित स्थान में हिंदू पक्ष ने मां श्रृंगार गौरी की मौजूदगी के सबूत देते हुए यहां साल भर मां की पूजा अर्चना की मांग की है. मामला सुप्रीम कोर्ट में हैं. इस बीच ज़ी न्यूज़ के हाथ लगी इस तस्वीर के बारे में आपको बता दें कि हिन्दू पक्ष के दावों को मजबूत करने का ये साक्षात बड़ा प्रमाण और सबूत अमेरिका के ह्यूस्टन स्थित 'द म्यूजियम ऑफ फाइन आर्ट्स' में संरक्षित है. उससे भी पुष्टि होती है कि इस जमीन पर किसका दावा है. 


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(ज्ञानवापी में हनुमान जी की मूर्ति होने का ऐतिहासिक प्रमाण)

शिव के 11वें अवतार है बजरंगबली


ब्रिटिश फोटोग्राफर सैम्युअल बॉर्न ने 7 साल वर्ष 1863 से 1870 तक भारत मे काम किया था. यह खास तस्वीर साल 1868 में खींची गई थी. यहां हिन्दू पक्ष लगातार ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग के अलावा नन्दी, भगवान हनुमान की मूर्ति और हिन्दू शिल्पकृतियां होने का दावा कर रहा है. ऐसे में हिन्दू पक्ष के दावों पर मुहर लगाती 154 वर्ष पुरानी यह दुर्लभ तस्वीर हिन्दू धर्म में भगवान शिव के 11वें रुद्रावतार माने जाने वाले हनुमान जी की मौजूदगी का प्रमाण देती है. आपको ये भी बता दें कि देश के किसी भी शिवालय, शिवमंदिर या द्वादश ज्योतिर्लिंग में मौजूद नन्दी को भगवान शिव का वाहन माना जाता है.


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