नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद शुक्रवार को महिलाएं सबरीमाला मंदिर में प्रवेश नहीं पाईं. प्रदर्शनकारियों के दबाव की वजह से पुलिस को जहां पीछे हटना पड़ा और भगवान अयप्पा के दर्शन के लिए दोनों महिलाओं को  मंदिर के प्रवेश द्वार से बिना दर्शन कर वापस लौटना पड़ा. 250 पुलिसकर्मियों के सुरक्षा घेरे में मंदिर में प्रवेश कराने की कोशिश की गई, लेकिन प्रदर्शनकारियों के सामने पुलिस की एक न चली और दोनों महिलाओं को मंदिर से वापस लौटना पड़ा. 


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सन्निधानम में जमे प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे किसी भी हालत में 10-50 साल की महिलाओं को मंदिर में नहीं घुसने देंगे. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि हम सबरीमाला की सुरक्षा कर रहे हैं. वहीं, सबरीमाला मंदिर के मुख्य पुजारी कंदारारू राजीवारू हालात से परेशान हैं. शुक्रवार (19 अक्टूबर) को दोनों महिलाओं के मंदिर के प्रवेश द्वार पर पहुंचने के बाद उन्होंने कहा कि अगर मंदिर में महिलाओं ने प्रवेश किया, तो वो मंदिर में ताला लगाकर चाबियां सौंप देंगे. उन्होंने कहा कि मैं श्रद्धालुओं के साथ खड़ा हूं. इसके अलावा मेरे पास कोई और चारा नहीं है. 



वहीं, पुलिस प्रदर्शन कर रहे श्रद्धालुओं के आगे बेबस नजर आई. आईजी श्रीजीत ने कहा, यह एक अनुष्ठान आपदा है. हम लोग उन्हें सुरक्षा के बीच यहां तक ले आए. लेकिन दर्शन पुजारियों के सहमति के बगैर नहीं हो सकते. उन्होंने कहा कि दोनों महिलाओं को जिस तरह की भी सुरक्षा चाहिए होगी. हम देने को तैयार हैं और मंदिर में कूच करने से पहले ही हमने उन्हें वहां की स्थिति से अवगत करा दिया था. 



उन्होंने कहा कि हम चाहते तो उन्हें दर्शन करा देते. लेकिन जैसे ही हम दोनों महिलाओं को मंदिर प्रांगण तक लेकर आए. तभी पुजारी ने मंदिर खोलने से मना कर दिया. हमने इंतजार किया, तब उन्होंने कहा कि अगर हम उन्हें मंदिर में प्रवेश कराने का प्रयास करेंगे, तो वे मंदिर को लॉक कर देंगे.