Treatment in India: देश के हेल्थ सेक्टर से एक राहत वाली खबर आई है. भारत में इलाज कराना थोडा आसान हो गया है. केंद्र सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से देश में इलाज पर होने वाले खर्च का जो डाटा जारी किया गया है उसके मुताबिक आउट ऑफ पॉकेट एक्सपेंडिचर (Out Of Pocket Expenditure) में कमी आई है.


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इसका मतलब है कि पहले भारत में इलाज पर होने वाले कुल खर्च में से 64% खर्च, लोगों की जेब से बाहर था लेकिन 2018-19 के डाटा के मुताबिक अब ये 48% पर आ गया है. यानी 2014 से 2019 के बीच 16% की कमी हुई है.


कुल जीडीपी का 3.16% हेल्थ पर खर्च
भारत में 2019 में इलाज पर तकरीबन 6 लाख करोड़ रुपये का खर्च हुए हैं. भारत की कुल जीडीपी का 3.16% हेल्थ पर खर्च किया गया. यानी प्रति व्यक्ति 4 हजार 470 रुपए खर्च हुए हैं. ये खर्च केंद्र, राज्य और डोनेशन के जरिए मिलकर हुआ है.


आउट ऑफ पॉकेट एक्सपेंडिचर पर भारत में 2 लाख 87 हजार 573 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. ये रकम भारत में इलाज पर हुए कुल खर्च की 48% है. यानी देश में इलाज पर खर्च हुए कुल 6 लाख करोड़ रुपए में से तकरीबन 3 लाख करोड़ से थोड़ा ही कम जनता का किया हुआ खर्च है. यानी 2155 रूपए प्रति व्यक्ति खर्च वो है जो जेब से बाहर का है.


इलाज के कुल खर्च में से करीब 7% प्राइवेट इंश्योरेंस सेक्टर से
भारत में इलाज के कुल खर्च में से तकरीबन 7% प्राइवेट इंश्योरेंस सेक्टर से आया है. 39 हजार 201 करोड़ रुपए प्राइवेश इंश्योरेंस स्कीम्स से खर्च हुए हैं.


सरकार लोगों के इलाज पर जो खर्च करती है, उसमें बढ़ोतरी हुई है. इलाज के लिए बीमा और reimbursement के तौर पर खर्च में 3% की बढोतरी हुई है. स्वास्थ्य पर खर्च राज्य सरकारों की जिम्मेदारी होती है लेकिन केंद्र भी कुछ हिस्सा खर्च करता है. केंद्र सरकार का इलाज के खर्च में भी हिस्सा बढ़ गया है. 2013 तक सरकार इलाज पर 28% खर्च करती थी जो 2019 मे बढकर 40% हो गया है.


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