नई दिल्ली: भारत में भविष्य में गाड़ियां तो एक ना एक दिन आसमान में उड़ेगी, लेकिन फिलहाल भारत की सड़कों पर गाड़ी चलाना एक बहुत बड़ी चुनौती है. ये चुनौती कभी खराब सड़कों की वजह से पैदा होती है तो कभी इन सड़कों पर होने वाले धरने प्रदर्शन की वजह से. देश की राजधानी दिल्ली और इसके आस पास के इलाकों में किसान पिछले 10 महीनों से धरने पर बैठे हैं. इसकी वजह से भारत की अर्थव्यवस्था को हर दिन साढ़े तीन हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. क्योंकि इन किसानों ने तमाम रास्ते जाम किए हुए हैं.


धरना से होने लगी है हाईवे की हालत खराब


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ऐसा ही एक धरना स्थल है दिल्ली का गाजीपुर बॉर्डर. यहीं से दिल्ली और उत्तर प्रदेश को जोड़ने वाला नेशनल हाईवे 24 गाजियाबाद से होकर गुजरता है. इसी हाईवे के एक हिस्से पर किसानों ने कब्जा किया हुआ है, लेकिन किसानों के इस कब्जे की वजह से अब इस हाईवे की हालत खराब होने लगी है. इस हाईवे को फौरन मरम्मत की जरूरत है, लेकिन किसानों धरने की वजह से ये काम रुका हुआ है. इसलिए अब भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने गाजियाबाद के जिला अधिकारी से मांग की है कि वो इस हाईवे को खाली कराएं, वर्ना मरम्मत ना होने की वजह से कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है. किसानों के विरोध प्रदर्शन की वजह से इस हाईवे की हालत कैसे हर दिन खराब हो रही है. ये आपको हमारी इस ग्राउंड रिपोर्ट देखकर समझ आ जाएगा.


NHAI को लिखनी पड़ी चिट्ठी


किसानों के आंदोलन (Farmers Protest) ने देश के एक हाईवे को हाईजैक कर लिया है. 10 महीने से नेशनल हाईवे 24 का ये हिस्सा इतनी बुरी स्थिति में पहुंच गया है कि अब नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया को इस हाईवे को खाली कराने के लिए एक चिट्ठी लिखनी पड़ी है. देश की राजधानी दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर से होकर जो हाईवे मेरठ की तरफ जाता है. वहां अब जगह-जगह पर जंगली घास उग आई हैं, कहीं दरारे पड़ गईं हैं, कहीं सड़के टूट चुकी है तो कहीं ड्रेनेज जाम है. कहने को तो ये स्थिति इस हाईवे के 300 मीटर हिस्से की है, लेकिन इसका असर 438 किलोमीटर लंबे इस पूरे हाईवे पर पड़ना तय है. हाईवे की इस खराब हालत की वजह से दुर्घटना का भी खतरा बना हुआ है, क्योंकि मरम्मत के अभाव में हाईवे स्ट्रक्चर को भी खतरा होता है.


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स्ट्रीट लाइट की तारों से चल रहे हैं किसानों के एसी


इस हाईवे पर लगीं जो स्ट्रीट लाइट्स इसे रात में रोशन करने के लिए थीं. उनमें आंदोलन करने वाले किसानों ने सेंध लगा दी है और अब इनकी तारों से किसान नेताओं के एसी चल रहे हैं. मोबाइल चार्ज हो रहे हैं. यानी धरना स्थल तो जगमग है, लेकिन बाकी के हाईवे की हालत डगमग है. एनएच-24 का रखरखाव रुका हुआ है तो आस-पास रहने वाले वो लोग भी परेशान हैं, जिन्हें अब दफ्तर जाने के लिए लंबे रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है. जो हाईवे लोगों की सहूलियत के लिए बनाया गया था. लोग उसका इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं.


कब तक हाइजैक की स्थिति में रहेगा हाईवे?


भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने तो हाईवे खाली कराने के लिए चिट्ठी लिख दी है, लेकिन इस चिट्टी पर गाजियाबाद का प्रशासन अमल करता है या फिर एक हाईवे अभी हाइजैक की स्थिति में ही रहने वाला है. ये किसानों के रवैये पर निर्भर करेगा.