HC के आदेश पर हिमाचल सरकार ने DGP संजय कुंडू को हटाया, पहुंच गए सुप्रीम कोर्ट
Nishant Sharma Case: हिमाचल सरकार ने संजय कुंडू को डीजीपी से जरूर हटाया लेकिन उनका प्रमोशन करते हुए आयुष विभाग में प्रधान सचिव बना दिया. उधर संजय कुंडू है कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गए हैं. यह पूरा केस जिस कारोबारी से जुड़ा है, उस पूरे मामले को समझने की जरूरत है.
Himachal DGP Sanjay Kundu: हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ने पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू को पद से हटा दिया है. यह कार्रवाई हाईकोर्ट के आदेश के बाद हुई है. हालांकि इसके बाद सुक्खू सरकार ने कुंडू को आयुष विभाग का प्रधान सचिव नियुक्त किया है. इस नियुक्ति के साथ ही अमनदीप गर्ग आयुष विभाग के पदभार से भार मुक्त हो जाएंगे. हुआ यह कि हिमाचल हाईकोर्ट ने बीते 26 दिसंबर को कारोबारी निशांत शर्मा मामले की सुनवाई के दौरान संजय कुंडू को DGP पद से हटाने के आदेश दिए थे. इसके बाद अब कार्मिक विभाग ने इस कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए हैं. मामले को समझने की जरूरत है कि आखिर क्यों यह कार्रवाई हुई है और निशांत शर्मा केस क्या है. उधर इस कार्रवाई के खिलाफ संजय कुंडू सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गए हैं. मामले में बुधवार को सुनवाई होनी है.
क्या था पूरा मामला?
दरअसल, कारोबारी निशांत शर्मा से जुड़ा यह पूरा सामने तब आया जब बीते 26 दिसंबर को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने निशांत शर्मा को कथित तौर पर डराने-धमकाने के मामले में राज्य सरकार को पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू और कांगड़ा की पुलिस अधीक्षक शालिनी अग्निहोत्री का तबादला करने का निर्देश दिया. हुआ यह था कि कांगड़ा जिले के पालमपुर स्थित कारोबारी निशांत शर्मा ने हाईकोर्ट में शिकायत की और उन्होंने अपने और अपने परिवार के जीवन को खतरे का आरोप लगाया था. उन्होंने 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी डीजीपी कुंडू के खिलाफ आरोप लगाए थे. अदालत ने गृह सचिव को निर्देश देते हुए कहा था कि हिमाचल प्रदेश के पुलिस महानिदेशक और कांगड़ा की पुलिस अधीक्षक को स्थानांतरित कर दिया जाए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दर्ज एफआईआर में लगाए गए आरोपों की निष्पक्ष जांच हो.
कोर्ट ने क्या कहा था?
लेकिन मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि वे पार्टियों के दावों के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त नहीं कर रहे हैं, क्योंकि जांच "अभी भी पूरी नहीं हुई है" लेकिन न्याय के हित में और जांच की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए साथ ही साथ इस सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए कि न्याय न केवल किया जाना चाहिए, बल्कि होते हुए दिखना भी चाहिए. उच्च न्यायालय द्वारा मामले का संज्ञान लेने के बाद, कांगड़ा पुलिस ने 17 नवंबर को कई लोगों के खिलाफ गलत तरीके से रोकने, जानबूझकर चोट पहुंचाने, आपराधिक धमकी देने और आपराधिक कृत्य के लिए प्राथमिकी दर्ज की थी.
निशांत शर्मा ने क्या शिकायत की थी?
कारोबारी निशांत शर्मा ने अपनी शिकायत में अपने साझेदारों से उन्हें, उनके परिवार और संपत्ति को खतरा होने का आरोप लगाया था और 25 अगस्त को गुरुग्राम में उन पर "क्रूर हमले" की एक घटना का हवाला देते हुए कहा था कि एक पूर्व आईपीएस अधिकारी सहित हिमाचल के दो प्रभावशाली लोग शामिल थे, जिनकी सीसीटीवी फुटेज में पहचान हुई. उन्होंने आरोप लगाया कि मैं हमले के बाद कांगड़ा जिले के पालमपुर आया था, लेकिन डीजीपी ने मुझे अपने आधिकारिक नंबर से फोन किया और मुझे शिमला आने के लिए मजबूर किया और उसी दिन दो अपराधियों ने मुझे धर्मशाला में रोका और मेरे ढाई साल के बच्चे और पत्नी को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी.
'पुलिस ने मामले में कोई कार्रवाई नहीं की'
इतना ही नहीं उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मैं धर्मशाला में पुलिस अधीक्षक के घर गया और उन्हें अपनी दुर्दशा बताई और उन्हें अपनी शिकायत दी, लेकिन अब तक कुछ नहीं किया गया है. अपने खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद उन्होंने स्वतंत्र जांच और डीजीपी समेत अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है. हालांकि, डीजीपी ने शिकायत में उनका नाम घसीटकर उन्हें बदनाम करने और उनकी छवि खराब करने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए शर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है.
कार्रवाई के बाद सरकार ने प्रमोशन कर दिया?
फिलहाल इधर कार्रवाई जरूर हुई लेकिन अब उन्हें नई जिम्मेदारी दी गई है. सुक्खू सरकार ने संजय कुंडू को पदोन्नत किया है. सरकार ने उन्हें पद्दोनन्त कर आयुष विभाग का प्रधान सचिव लगाया है. वहीं संजय कुंडू की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में कल सुनवाई होनी है. मंगलवार को उनकी ओर से वकील मुकुल रोहतगी ने चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच से जल्द सुनवाई की मांग की थी. इस पर चीफ जस्टिस ने कल सुनवाई का भरोसा दिया है.