नई दिल्ली: 6 अगस्त 1945 का दिन जब वैश्विक इतिहास के रंगमंच पर एक ऐसा विध्वंसात्मक नाटक खेला गया कि जिसे याद कर आज भी लोगों की आंखे नम हो जाती हैं. यही वो दिन था जब हिरोशिमा (Hiroshima) पर परमाणु हमला किया गया था. इस धमाके ने इतनी तबाही मचाई थी कि उसका दर्द आज भी लोगों के जेहन में है. इतिहास की ये तारीख जिसे कहीं जश्न के रूप में मनाया जाता है तो कहीं ग़म के रूप  में याद किया जाता है। इस हमले के 6 दिन बाद जापान ने सरेंडर कर दिया था और फिर द्वितीय विश्व युद्ध (World War II) का अंत हो गया था. आज हिरोशिमा पर परमाणु हमले का 75वां साल है . इस विधवंसक घटना की तारीख़ पर अमरीका (America) और रूस (Russia) जश्न मनाते हैं। जापान के लोग अपनी हार और इस युद्ध में मारे गए अपनों को याद कर गम में हैं 


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इस घटना की याद में हिरोशिमा में आज मानव टोल बनाया गया और प्रार्थना सभा का आयोजन किया . मौके पर उपस्थित मेयर काजुमी मातसुई ने कहा कि "6 अगस्त, 1945 को,  परमाणु बम ने हमारे शहर को नष्ट कर दिया. उस समय अफवाह थी कि 'यहां 75 साल तक कुछ भी नहीं बढ़ेगा और फिर भी, हिरोशिमा आज शांति का प्रतीक बन गया."


मात्सुई ने कहा, 'जब 1918 के फ्लू की महामारी ने एक सदी पहले हमला किया, तो उसने लाखों लोगों की जान ले ली और दुनिया को आतंकित कर दिया क्योंकि प्रथम विश्व युद्ध लड़ने वाले राष्ट्र असमर्थ हो गए थे. राष्ट्रवाद  के उतार-चढ़ाव ने द्वितीय विश्व युद्ध और परमाणु बम विस्फोटों को जन्म दिया। हमें कभी भी इस दर्दनाक को खुद को दोहराने की अनुमति नहीं देनी चाहिए. समाज को स्व-केंद्रित राष्ट्रवाद को अस्वीकार करना चाहिए और सभी त्रासदी के खिलाफ एकजुट होना चाहिए.'


वो काली सुबह...


6 अगस्त की सुबह हिरोशिमा के लोगों के लिए हर दिन जैसी ही थी. तबाही से अंजान वो लोग नहीं जानते थे कि  एक पल में सब ख़ाक हो जाएगा। इतिहास लिखा जाना अभी भी बाकी था, लेकिन इसकी इबारत तैयार थी . 6 अगस्त, 1945 की सुबह 8:15 बजे, US B-29 विमान ने हिरोशिमा पर 'लिटिल बॉय' नाम का बम गिराया। एक ही पल में इसने दक्षिण-पश्चिम शहर हिरोशिमा को तबाह कर दिया. जिस समय बम विस्फोट हुआ, हिरोशिमा मलबे में बदल गया और  एक पल के लिए भीड़ उमड़ पड़ी, लाशों की शैय्या पर लोग सिसकते रहे और शांति बेल बजने लगी.


यह बम हिरोशिमा पर तय जगह पर नहीं गिराया गया.  दरअसल , 'लिटिल बॉय' को हिरोशिमा के आइयो ब्रिज के पास गिराया जाना था. मगर हवा के विपरीत दिशा के कारण यह शीमा सर्जिकल क्लिनिक पर जा गिरा. इस हमले में 1 लाख 40 हजार लोगों की मौत हो गई. हजारों लोगों को गंभीर चोट और बीमारियों का सामना करना पड़ा. इसके कारण कई लोगों की मृत्यु हो गई और कई रेडिएशन से ग्रस्त हो गए. लगभग 3 लाख 50 हजार की आबादी में से 1 लाख 40 हजार लोगों का यूँ एक झटके में चला जाना आज भी दिल दहला देता है. 


प्रार्थना सभा पर वैश्विक महामारी का असर


प्रधान मंत्री शिंजो आबे ने हमेशा की तरह इस प्रार्थना सभा में भाग लिया, लेकिन कोविड 19 की वजह से विदेशी आगंतुकों की संख्या कम थी. कुल मिलाकर वैश्विक महामारी को देखते हुए उपस्थिति सामान्य से 10 प्रतिशत तक कम थी. साथ ही उपस्थित लोगों ने सोशल डिस्टेंस का ध्यान रखा था और अधिकांश  लोग मास्क पहने हुए थे. 


हिरोशिमा पर हमले के तीन दिन बाद यानी 9 अगस्त को अमरीका ने नागासाकी (Nagasaki) शहर पर दूसरा परमाणु बम गिराया गया। इन दोनों परमाणु हमलों में जापान के लाखों लोगों के घर बिल्कुल तबाह हो गए . इस दौरान लाखों लोग मारे गए। हमले के बाद भी लाखों लोगों पर रेडिएशन पर असर देखा गया.


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