Kundarki seat result: मुस्लिम बाहुल्य कुंदरकी में कैसे जीती बीजेपी, रामवीर की जीत की इनसाइड स्टोरी
Kundarki Election Results 2024: कुंदरकी विधानसभा सीट पर कुल 3,83,488 मतदाता हैं. इसमें से लगभग सवा दो लाख मुस्लिम मतदाता हैं. 63,000 एससी-एसटी और 30-30 हजार क्षत्रिय समुदाय और सैनी वर्ग के मतदाता हैं. यादव मतदाताओं की संख्या यहां 15 हजार है.
UP By-Election Result 2024: कुंदरकी विधानसभा सीट पर तकरीबन 60 प्रतिशत वोट मुस्लिम समुदाय का है. कुंदरकी विधानसभा मुरादाबाद लोकसभा सीट के अंतर्गत आती है. इसी साल लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के जिया उर रहमान बर्क मुरादाबाद से सांसद चुने गए हैं. कुंदरकी सीट पर पिछले 3 विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने जीत दर्ज की थी. 1996 से मुख्य दलों में सिर्फ बीजेपी ही हिंदू उम्मीदवार उतारती आई है. इस बार कुंदरकी सीट पर 12 उम्मीदवार खड़े थे जिनमें से 11 मुसलमान थे. इन सबके बावजूद बीजेपी के रामवीर सिंह ने कुंदरकी सीट जीती और वो भी तकरीबन एक लाख के बड़े मार्जिन के साथ. कुंदरकी सीट पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो बड़ी रैलियां की थीं.
कुंदरकी का सामाजिक समीकरण
कुंदरकी विधानसभा सीट पर कुल 3,83,488 मतदाता हैं. इसमें से लगभग सवा दो लाख मुस्लिम मतदाता हैं. 63,000 एससी-एसटी और 30-30 हजार क्षत्रिय समुदाय और सैनी वर्ग के मतदाता हैं. यादव मतदाताओं की संख्या यहां 15 हजार है. बाकी मतदाता अन्य समुदायों के हैं. बीजेपी ने यहां ऐसा संतुलन साधा कि कमाल करते हुए धमाल मचा दिया. कुंदरकी सीट पर बीजेपी के रामवीर सिंह को 1,70,371 मत मिले हैं और उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी मोहम्मद रिजवान को 1,44,791 मतों से हराया है. वोटों के लिहाज से यह बहुत बड़ी जीत है.
जीत की इनसाइड स्टोरी?
कुंदरकी में 12 उम्मीदवारों में से 11 उम्मीदवार मुस्लिम थे. अकेले रामवीर बीजेपी के टिकट पर जीते. कुंदरकी में दूसरे नंबर पर रहे हाजी रिजवान को महज 25580 वोट मिले. तीसरे स्थान पर रहे आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के चांद बाबू को 14201 वोट मिले. रामवीर की जीत बताती है कि हिंदू समाज के अलावा भी बीजेपी को मुसलमानों ने दिल खोलकर वोट दिया. हमारी पड़ताल में सामने आया कि कई लोगों ने कहा कि अब मुसलमान वोट बैंक बनने के बजाए सत्ता में भागीदारी चाहता है इसलिए वो काटने के बजाए जिताने के लिए वोट दे रहा है. यह विधानसभा सीट इसलिए भी बेहद अहम थी क्योंकि यह प्रदेश अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह के गृह जिले मुरादाबाद में आती थी. इसलिए यहां संगठन ने भी नपी तुली बयानबाजी की.
गेमचेंजर हुआ ये काम!
बीजेपी ने मुस्लिम मतदाताओं तक पहुंच बढ़ाने के लिए इस समुदाय के नेताओं को पन्ना प्रमुख बनाया. पन्ना प्रमुख बीजेपी में उसे कहा जाता है जो वोटर लिस्ट के हर पन्ने का प्रमुख होता है. इसी प्रमुख का मुख्य काम वोटरों से डायरेक्ट संपर्क में रहकर उन्हें पोलिंग बूथ ले जाकर बीजेपी के पक्ष में वोट डलवाने तक के लिए प्रेरित करना होता है. ये रणनीति भी काम कर गई. बीजेपी ने मुस्लिम आबादी वाले गांवों में इस समुदाय के बड़े और सक्रिय नेताओं को पन्ना प्रमुख बनाया और इन्होंने तमाम मुस्लिम मतदाताओं को बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करने के लिए प्रेरित किया.
योगी ने नारे से बनाई दूरी?
सीएम योगी ने यहां दो रैलियां की. लेकिन उन्होंने यहां पर बटोगे तो कटोगे से परहेज करते हुए मुसलमानों को बांहे फैलाकर साथ आने को यानी बीजेपी कैंडिडेट को वोट देने को कहा. उन्होंने मुस्लिम समाज से उनका साथ मांगा और कमाल हो गया. बीजेपी की जीत के पीछे सपा की स्थानीय कलह और गुटबाजी भी जिम्मेदार रही. सपा नेता यहां मानो रस्म अदायगी के लिए आए थे और उन्होंने अपने प्रत्याशी हाजी रिजवान को उनकी किस्मत पर छोड़ दिया था. साफ है कि वोटों का ध्रुवीकरण न होना भी बीजेपी के काम आ गया.