Delhi Mayor Election: दिल्ली में कैसे चुना जाता है मेयर? क्या होती है पार्षदों की भूमिका? ये है पूरी प्रक्रिया
Mayor Election Process: दिल्ली (Delhi) में मेयर (Mayor) के चुनाव के लिए पार्षद गुप्त मतदान करते हैं. पार्षदों के लिए दल-बदल कानून नहीं लागू होता है. वो किसी को भी वोट दे सकते हैं.
Mayor Of Delhi: दिल्ली (Delhi) में एमसीडी (MCD) चुनाव संपन्न हो चुका है और आम आदमी पार्टी (AAP) को बहुमत मिल गया है. इस बीच नए मेयर (Mayor) को नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. बता दें कि आप ने 4 दिसंबर को हुए निकाय चुनाव में 134 वार्ड जीते, जबकि बीजेपी (BJP) ने 104 और कांग्रेस ने 9 वार्ड हासिल किए. जान लें कि दिल्ली नगर निगम (MCD) 7 अप्रैल, 1958 को संसद के एक एक्ट के तहत अस्तित्व में आया था. इससे पहले दिल्ली की प्रमुख निकाय, दिल्ली म्यूनिसिपल कमेटी थी. गुरु राधा किशन सबसे लंबे समय तक एमसीडी के पार्षद रहे, वहीं दिल्ली के पहले निर्वाचित महापौर त्रिलोक चंद शर्मा थे.
हर 5 साल में चुनाव क्यों जरूरी?
दिल्ली नगर निगम एक्ट के मुताबिक, लोकल अर्बन बॉडी के लिए हर 5 साल में चुनाव कराना जरूरी है, ताकि यह तय किया जा सके कि सरकार में बने रहने के लिए कौन सा दल बहुमत में है. एक्ट की धारा 35 के मुताबिक, सिविक बॉडी को हर वित्तीय वर्ष की पहली मीटिंग में मेयर का चुनाव करना चाहिए.
कैसे चुना जाता है MCD का मेयर?
हालांकि, सदन में पूर्ण बहुमत वाला दल पार्षद का नाम महापौर पद के लिए नॉमिनेट कर सकता है. पर, अगर कोई विपक्षी पार्टी निर्णय का विरोध करती है और अपने प्रत्याशी को नामांकित करती है, तो इलेक्शन होगा. अगर सरकार में पार्टी से केवल एक प्रत्याशी है, तो उन्हें मेयर नियुक्त किया जाएगा. हालांकि, अगर चुनाव हुआ तो सबसे ज्यादा वोट वाले प्रत्याशी को मेयर चुना जाएगा.
एमसीडी एक्ट में ये भी है अनिवार्य
जान सें कि एमसीडी एक्ट में ये भी अनिवार्य है कि सिविक बॉडी को अपने पहले साल में एक महिला को मेयर के रूप में और तीसरे साल में अनुसूचित जाति (SC) से एक निर्वाचित (Elected) पार्षद का चुनाव करना चाहिए.
गुप्त मतदान के जरिए होता है फैसला
गौरतलब है कि मेयर के चुनाव के लिए नामांकन अलग-अलग किए जाते हैं. अगर अन्य दल सत्तारूढ़ पार्टी की तरफ से मेयर के लिए नामित नाम से संतुष्ट नहीं हैं तो मेयर के लिए वोटिंग एक गुप्त मतदान के जरिए किया जाता है. एलजी मेयर के चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी को नियुक्त करता है.
बता दें कि एमसीडी चुनाव में दल-बदल विरोधी कानून नहीं लागू होता है. कोई भी काउंसलर किसी भी प्रत्याशी को वोट दे सकता है. हालांकि, दलों के बीच टाई के मामले में पीठासीन अधिकारी बहुत से विशेष ड्रॉ आयोजित करता है और जिस उम्मीदवार का नाम निकाला जाता है वह महापौर (मेयर) होगा.
(इनपुट- आईएएनएस)
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