Nayab Singh Saini Cabinet ministers list : हरियाणा में बीजेपी (BJP) ने अपनी सैनी सरकार की नाव को निर्विघ्न चलाने के लिए गजब की सोशल इंजीनियरिंग की है. मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की कैबिनेट पर नजर डालें तो पार्टी आलाकमान ने कांग्रेस का वो 'मुद्दा' ही साफ कर दिया, जिसके दम पर उसने 4 महीने पहले बीजेपी से लोकसभा की 10 में से 5 सीटें झटक ली थीं. बीजेपी ने ऐसा पत्ता चला है कि कांग्रेस को कुछ नया सोचने की जरूरत पड़ सकती है.


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मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की कैबिनेट (CM Nayab Singh Saini Cabinet) में शामिल मंत्रियों की जोर शोर से चर्चा हो रही है. मसलन किस वर्ग से कितने मंत्री बनाए गए हैं? ऐसे में सेवा से संतुष्टि की बात करने वाले बीजेपी के रणनीतिकारों ने न सिर्फ हरियाणा बल्कि पूरे भारत के जातीय गणित का पूरा खयाल रखा है. कांग्रेस आरक्षण-आरक्षण करती रह गई और बीजेपी ने ओबीसी कार्ड के साथ दलित, जाट और ब्राह्मण का ऐसा मेल किया कि बीजेपी समर्थक गदगद होकर उसका गुणगान कर रहे हैं. 


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हरियाणा की नई सरकार की कैबिनेट में शामिल मंत्रियों में अनुभवी नेताओं के साथ-साथ युवा जोश को भी जगह दी गई है. 90 सदस्यों वाली विधानसभा में मुख्यमंत्री सहित कुल चौदह मंत्री बन सकते हैं.


सैनी कैबिनेट का जातीय 'गुणा-गणित'


हरियाणा विधानसभा चुनाव में पार्टी के ओबीसी चेहरे सैनी के साथ-साथ बीजेपी ने दलित, जाट, ब्राह्मण, अहीर, पंजाबी, गुर्जर, बनिया और राजपूत समुदायों से मंत्रियों को शामिल किया है. सैनी कैबिनेट में दलित, ब्राह्मण और जाट समुदाय से 2-2 विधायक, OBC से 4, एक राजपूत, एक पंजाबी और एक बनिया विधायक को शामिल किया गया है. हालांकि विभागों का बंटवारा होना अभी बाकी है.


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ओबीसी का शेयर सबसे ज्यादा


5 OBC, 2 जाट, 2 दलित. यानी ओबीसी समुदाय की अहमियत (वोट बैंक) को ध्यान में रखते हुए इस वर्ग को 'शेर' जैसा बड़ा हिस्सा लगा है. पांच ओबीसी मंत्रियों में इस समुदाय को महत्वपूर्ण सीटें मिली हैं. सैनी के अलावा, अन्य ओबीसी मंत्रियों की बात करें तो बादशाहपुर से विधायक राव नरबीर सिंह, बरवाला विधायक रणबीर सिंह गंगवा, तिगांव विधायक राजेश नागर और आरती हैं. गंगवा कुम्हार समुदाय से हैं. आरती और नरबीर अहीर समुदाय से आते हैं. वहीं नागर गुर्जर हैं. आरती और नरबीर को शामिल करने को दक्षिण हरियाणा को अधिक प्रतिनिधित्व देने के बीजेपी के प्रयास के रूप में भी देखा जा रहा है, एक ऐसा क्षेत्र जिसने 2014 के बाद से पार्टी की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.


इसके अलावा बीजेपी ने सात बार के विजेता और हैवीवेट सीनियर नेता अनिल विज और पूर्व सीएम बंसी लाल की पोती श्रुति चौधरी को कैबिनेट में जगह मिली है. जाटलैंड के नाम से मशहूर हरियाणा में जाट जो कुल आबादी का एक चौथाई हिस्सा बनाते हैं. उनका शेयर और काफी हद तक पीछे है. पंजाबी समुदाय का प्रतिनिधित्व भी घटा है. सैनी की कैबिनेट में कांग्रेस के दो पूर्व प्रतिनिधि भी हैं. पहली बार हरियाणा की कैबिनेट में दो महिलाओं को जगह दी गई है. 


कांग्रेस का मुद्दा साफ!


दूध का जला छांछ भी फूंक-फूंक कर पीता है. लोकसभा चुनाव में नुकसान उठा चुकी बीजेपी के लिए ये चुनाव नाक का सवाल था. बीजेपी ने कांग्रेस को काउंटर करने के लिए शुरू से ही आक्रामक रणनीति अपनाई. उसने दलित समुदाय पर फोकस किया. उस समुदाय का प्रतिनिधित्व नरवाना से विधायक कृष्ण बेदी और इसराना विधायक कृष्ण लाल पंवार कर रहे हैं, जो विधानसभा में आठ दलित विधायकों में से आते हैं.


दलितों को बीजेपी में दिए जाने वाले महत्व पर जोर देने के लिए, बीजेपी ने सैनी सरकार के शपथ ग्रहण के दिन के रूप में वाल्मिकी जयंती का दिन चुना. खुद सीएम पद की शपथ लेने से पहले सैनी ने पंचकुला में वाल्मिकी मंदिर का दौरा किया. पंजाबी समुदाय जो 2014 में मनोहर लाल खट्टर के CM बनने के बाद से बीजेपी के लिए एक प्रमुख वोट बैंक रहा है उसे भी ध्यान में रखा गया.


'नायाब' मंत्रिमंडल में गोहाना विधायक अरविंद शर्मा और पलवल विधायक गौरव गौतम दो ब्राह्मण चेहरे हैं. बनिया बिरादरी के प्रतिनिधित्व की बात करें तो फरीदाबाद विधायक विपुल गोयल और राजपूत समाज से रादौर विधायक श्याम सिंह राणा को मंत्री बनाया गया है.