नई दिल्ली : गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने मानव तस्करी को आज एक ‘सीमाहीन संगठित अपराध’ करार देते हुए कहा कि हर साल करीब डेढ़ लाख से अधिक लोग इसके शिकार बनते हैं। मानव तस्करी के खिलाफ एक सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए सिंह ने कहा कि अकेले भारत ही इस मानव तस्करी से पीड़ित नहीं है, यह पूरे वैश्विक परिदृश्य में मौजूद है।


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सभी राज्यों और केंद्र प्रशासित राज्यों से आए प्रतिनिधियों की शिरकत से आयोजित सम्मेलन में उन्होंने कहा, ‘यह बहुत संवेदनशील और गंभीर मुद्दा है। इसे सीमाहीन संगठित अपराध कहा जा सकता है।’ नशीली दवा और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए गृह मंत्री ने कहा कि दक्षिण एशिया से संबंधित एक आंकड़े में महज एक साल में आश्चर्यजनक रूप से डेढ़ लाख से अधिक लोगों को पीड़ितों में शुमार किया गया है।


सिंह ने कहा कि यह स्तब्ध करने वाला आंकड़ा है कि कम उम्र की लड़कियों का यौन शोषण किया जा रहा है, बच्चों का अंग भंग किया जा रहा है, लोगों को मवेशियों की तरह बेचा जा रहा है और बंधुआ मजदूरी का चलन अब भी मौजूद है। उन्होंने कहा कि कोई सभ्य समाज इस तरह के अमानवीय कृत्य बर्दाश्त नहीं कर सकता। गृह मंत्रालय ने इस तरह के अपराध को रोकने के लिए प्रभावी तंत्र स्थापित किया है और कुछ उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है।


सिंह ने कहा कि मानव तस्करी निरोधी इकाई (एएचटीयू) को मजबूत करने के लिए गृह मंत्रालय विभिन्न राज्य सरकारों के सहयोग से एक पुनरीक्षित योजना पर काम कर रहा है। गैर सरकारी संगठनों :एनजीओ: सहित विभिन्न साझेदारों की महती भूमिका खासकर बचाए गए पीड़ितों के पुनर्वास को रेखांकित करते हुए गृहमंत्री ने कहा कि इस मकसद के लिए एक नोडल समन्वय एजेंसी समान रूप से जरूरी है और मानव तस्करी में शामिल अपराधियों का आंकड़ा तैयार करने के लिए अपराध एवं अपराधी पर नजर रखने के मकसद से ‘क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम्स’ (सीसीटीएनएस) परियोजना भी तैयार की जाएगी। 


सिंह ने कहा कि मानव तस्करी रोकने के लिए भारत ने हाल में बांग्लादेश के साथ एक आशयपत्र पर हस्ताक्षर किया है और इसके लिए दोषी एजेंसियों या व्यक्तियों पर सूचना साझा की। गृहमंत्री ने नेपाल के साथ भी इसी तरह के ज्ञापन पर हस्ताक्षर होने की संभावना जताई।