Dhirendra Shastri Diwali 2024: दिवाली के मौके पर पटाखों पर लगाए गए प्रतिबंध को लेकर बहस गर्म होती जा रही है. इस बार बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने इसे लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने हिन्दू त्योहारों पर दोहरे रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह षड्यंत्र बंद होना चाहिए. बाबा बागेश्वर ने बकरीद का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय बकरे की कुर्बानी दी जाती है, लेकिन उस पर कोई प्रतिबंध नहीं लगता.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

पटाखों पर बैन पर बवाल


बता दें कि कई राज्यों ने बढ़ते प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए दिवाली के दौरान पटाखों पर सख्त पाबंदी लगाई है. खासकर दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री, भंडारण और इस्तेमाल पर सख्त रोक है. सरकार ने निर्देश दिया है कि यदि कोई अवैध तरीके से पटाखे बेचता या जलाता है, तो उस पर कड़ी कार्रवाई होगी. इसके अलावा, पटाखा जलाने पर जुर्माने का भी प्रावधान है.


हिन्दुओं के त्योहारों पर षड्यंत्र


बाबा धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि हर बार दिवाली पर प्रदूषण का हवाला देकर प्रतिबंध लगाए जाते हैं, जबकि अन्य त्योहारों पर इसे नजरअंदाज कर दिया जाता है. उन्होंने यह भी कहा कि होली पर पानी की बर्बादी की बात की जाती है. हिन्दुओं के त्योहारों पर इस तरह की रोक से हिन्दुओं के धार्मिक उत्सव प्रभावित होते हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि इस दोहरे मानदंड को अब बंद करना चाहिए.


कई राज्यों में पटाखों पर बैन


दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और तमिलनाडु जैसे राज्यों ने पर्यावरण की रक्षा के लिए पटाखों के इस्तेमाल पर सख्त नियम लागू किए हैं. दिल्ली में जनवरी 2025 तक पटाखों के निर्माण, भंडारण, बिक्री और उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध है. केवल ‘ग्रीन क्रैकर्स’ ही सीमित समय के लिए अनुमति प्राप्त हैं, जो प्रदूषण को कम करने में सहायक माने जाते हैं.


बाबा बागेश्वर को आया गुस्सा


इस प्रतिबंध पर विरोध जताते हुए बाबा बागेश्वर ने कहा कि सरकार को सभी धर्मों के त्योहारों के प्रति समान दृष्टिकोण अपनाना चाहिए. हिन्दू समाज में यह भावना पनप रही है कि उनके त्योहारों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है. उन्होंने इसे हिन्दू समाज के खिलाफ षड्यंत्र करार दिया और इसे तुरंत समाप्त करने की मांग की.


हिन्दू त्योहारों को लेकर सख्ती क्यों


दिवाली पर पटाखों पर प्रतिबंध की वजह से आम लोग भी असमंजस में हैं. कई लोगों का मानना है कि एक ओर हिन्दू त्योहारों को लेकर सख्ती की जाती है, जबकि अन्य धर्मों के त्योहारों के प्रति सहनशीलता बरती जाती है. बाबा बागेश्वर की नाराजगी इस मुद्दे पर हिन्दू समुदाय के विचारों का प्रतिनिधित्व करती है, जो अपने त्योहारों पर खुलकर उत्सव मनाना चाहता है.