IAF Sukhoi-30MKI Engine: सुखोई-30एमकेआई लड़ाकू विमानों के इंजन अब देश में ही बनेंगे. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट समिति (सुरक्षा) ने 26 हजार करोड़ के सौदे को मंजूरी दे दी है. ये एयरो-इंजन डिफेंस PSU हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) बनाएगी. HAL भारत में ही कच्चे माल के उत्पादन से लेकर पुराने इंजनों को बदलने तक के लिए इंजनों का निर्माण करेगी. HAL से 240 एयरो-इंजन की खरीद को मंजूरी दी गई है. HAL इन इंजनों की डिलीवरी एक साल बाद शुरू करेगी. सभी इंजनों की डिलीवरी आठ साल के भीतर पूरी होनी हैं.  


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HAL से 240 इंजनों की खरीद भारतीय वायुसेना (IAF) को नई ताकत देगी. चीन और पाकिस्तान की दोहरी चुनौती से निपटने के लिए IAF को कम से कम 42 लड़ाकू स्क्वाड्रनों की जरूरत है, लेकिन उसके पास सिर्फ 30 ही उपलब्ध हैं. HAL जो इंजन बनाएगी, उसके कुछ पुर्जे रूस से आएंगे. रक्षा मंत्रालय से जुड़े एक अधिकारी के अनुसार, 'इन एयरो-इंजनों में 54 प्रतिशत से ज्यादा स्वदेशी मटेरियल होगा. ये इंजन HAL के कोरापुट डिवीजन में बनेंगे.'


एयरफोर्स की बड़ी ताकत हैं सुखोई-30MKI विमान


भारतीय वायुसेना के बेड़े में अभी 259 सुखोई हैं. इनमें से अधिकतर HAL ने रूसी लाइसेंस के तहत बनाए हैं. ये लड़ाकू विमान IAF की फायरपावर का अहम हिस्सा हैं. अन्य उपकरणों से लैस 12 नए सुखोई का ऑर्डर भी दिया जा रहा है. सुरक्षा पर कैबिनेट कमेटी (CCS) ने फरवरी में करीब 60 मिग-29 विमानों के बेड़े के लिए नए इंजन खरीदने को मंजूरी दी थी. 5,300 करोड़ में HAL ही रूस की मदद से वे इंजन बनाएगी.


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सुखोई लड़ाकू विमानों में और स्वदेशी अपग्रेड जोड़ने की तैयारी है. उन्हें एडवांस्ड रडार से लेकर एवियॉनिक्स, लंबी दूरी के हथियारों से लेकर मल्टी-सेंसर फ्यूजन से लैस किया जा रहा है.


लड़ाकू विमानों के देसी इंजन बने चुनौती


IAF लागत कम करने और स्वदेशी पुर्जे बढ़ाने के लिए बल्क में ऑर्डर दे रही है. किसी लड़ाकू विमान के इंजन को दो से तीन बार बदलना ही पड़ता है. भारत के लिए घर में ही लड़ाकू विमानों के इंजन बना पाना एक बड़ी चुनौती रहा है.


अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक ने GE-F404 टर्बोफैन जेट इंजन की सप्लाई में देरी की, इससे IAF को 83 स्वदेशी तेजस मार्क-1ए जेट की डिलीवरी की टाइमलाइन प्रभावित हुई है. इनके लिए फरवरी 2021 में HAL से 46,898 करोड़ रुपये की डील हुई थी.


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भारत और अमेरिका अब देश में ही तेजस मार्क-II लड़ाकू विमानों के लिए GE-F414 जेट इंजन के सह-उत्पादन के लिए बातचीत कर रहे हैं. इसमें लगभग 1 बिलियन डॉलर की लागत से 80% टेक्नोलॉजी का ट्रांसफर किया जाएगा.


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