बंगाल VS केंद्र: पूर्व CS IAS Alapan Bandyopadhyay मंगलवार को भी दिल्ली नहीं पहुंचे तो उन पर क्या कार्रवाई होगी?
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने अलपन बंद्योपाध्याय (IAS Alapan Bandyopadhyay) को चीफ एडवाइजर नियुक्त कर दिया है इस बीच, अधिकारी को फिर से DoPT ने मंगलवार को दिल्ली रिपोर्ट करने के लिए कहा गया है.
नई दिल्ली: रिटायरमेंट के तुरंत बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के मुख्य सलाहकार बनने के बाद IAS अलपन बंद्योपाध्याय (IAS Alapan Bandyopadhyay) का ट्रांसफर को लेकर हुए विवाद से पीछा छूट पाएगा क्या? यह सवाल अभी भी वहीं की वहीं बना हुआ है. चूंकि DoPT आज अलपन बंद्योपाध्याय को नोटिस दे चुका है, इसलिए अब इस सवाल को और बल मिल रहा है कि यदि अधिकारी DoPT (कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग) को रिपोर्ट नहीं करता है, तो क्या स्थिति होगी?
क्या हो सकती है कार्रवाई?
जानकारों के मुताबिक ऐसी स्थिति में कार्मिक मंत्रालय (Ministry of Personnel) संबंधित अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी कर उनसे स्पष्टीकरण मांग सकता है. जवाब पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी और मामला सुलझने के बाद ही पूरी पेंशन के लिए कार्रवाई की जाएगी. आईएएस अधिकारियों पर लागू ऑल इंडिया सर्विस (Discipline and Appeal) नियम, 1969 में मामूली और सख्त सजा के लिए प्रावधान हैं, जो केंद्र द्वारा किसी अधिकारी पर लगाया जा सकता है. नियमों के अनुसार मामूली कार्रवाई के तहत एडवर्स एंट्री इन सर्विस बुक, प्रमोशन पर रोक, सैलरी बढ़ोतरी पर रोक और वेतनमान (Pay Scale) में कमी की जा सकती है.
PM मोदी के अधीन है मंत्रालय
सख्त सजा में अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्ति (Compulsory retirement) और सर्विस से निष्कासन आदि शामिल हैं. कार्मिक और लोक शिकायत मंत्रालय के तहत कार्मिक और ट्रेनिंग विभाग इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (IAS) के लिए कैडर कंट्रोल अथॉरिटी है. यह मंत्रालय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के अधीन है और जितेंद्र सिंह (Jitendra Singh) मंत्रालय में राज्य मंत्री हैं.
केंद्र के आदेश पर विवाद क्यों है?
दरअसल यह आदेश सामान्य नहीं है क्योंकि केंद्रीय प्रतिनियुक्ति (Central deputation) के लिए संबंधित अधिकारी या राज्य सरकार (या दोनों) की इच्छा की मांग को प्राथमिकता दी जाती है. इस मामले में न तो राज्य सरकार ने और न ही अधिकारी ने ऐसी इच्छा जताई है. केंद्र सरकार के कदम को लेकर सियासी प्रतिक्रियाओं के बीच विवाद खड़ा हो गया है. संबंधित अधिकारी को सेवा विस्तार कैबिनेट की नियुक्ति समिति (ACC) द्वारा दिया गया था. लेकिन जिस तरह से इस फैसले को एक सप्ताह के भीतर और संबंधित अधिकारी के निर्धारित रिटायरमेंट से दो दिन पहले पलटा गया, उस पर कई पक्षों ने आपत्ति जताई है.
मंगलवार को फिर रिपोर्ट करने के लिए कहा गया
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने बंद्योपाध्याय को चीफ एडवाइजर नियुक्त कर दिया है और सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर 28 मई के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया. वह आदेश अब तक रद्द नहीं किया गया है. ममता ने घोषणा की कि बंदोपाध्याय सोमवार को सेवानिवृत्त हो गए हैं और उन्हें तीन साल के लिए सलाहकार नियुक्त किया गया है. इस बीच, अधिकारी को फिर से डीओपीटी को मंगलवार को रिपोर्ट करने के लिए कहा गया है.
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क्या 'एकतरफा' निर्णय लिया गया है?
इस संबंध में पूर्व आईएएस अधिकारी ईएएस सरमा का कहना है कि तकनीकी रूप से, IAS (कैडर) नियम के तहत निश्चित रूप से केंद्र को राज्य से आईएएस अधिकारियों को वापस बुलाने का अधिकार है, लेकिन इस तरह की वापसी उचित आधार पर और जनहित के लिए होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इस तरह का निर्णय लेते समय, केंद्र को राज्य के साथ सलाह करने की आवश्यकता होती है और असहमति की स्थिति में, केंद्र को असाधारण परिस्थितियों का हवाला देना चाहिए. सरमा ने कहा कि समाचार रिपोर्टों से ऐसा लगता है कि केंद्र ने ‘एकतरफा’ निर्णय लिया है. उन्होंने प्रधानमंत्री को लिखे एक पत्र में कहा, 'अगर ऐसा है तो केंद्र द्वारा जारी आदेश कानूनी कसौटी पर खरा नहीं उतरेगा.'
केंद्र और राज्य के बीच के संबंध टकरावपूर्ण?
ईएएस सरमा ने कहा कि केंद्र और राज्यों के बीच के संबंध टकरावपूर्ण नहीं बल्कि सहयोगात्मक होने चाहिए. वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग में सचिव के रूप में कार्य कर चुके सरमा ने कहा, 'केंद्र को व्यक्तिगत अहंकार और संकीर्ण विचारों का शिकार नहीं होना चाहिए और उसे सहकारी संघवाद की भावना से समझौता नहीं करना चाहिए. भारतीय संविधान के निर्माताओं ने कभी नहीं सोचा था कि ऐसी स्थितियां पैदा होंगी.' आंध्र प्रदेश कैडर के 1965 बैच के आईएएस अधिकारी सरमा ने Voluntary retirement लिया था.
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