नई दिल्‍ली : एक सप्‍ताह के भीतर दो ट्रेन हादसों के बाद रेल मंत्री सुरेश प्रभु आलोचनाओं का केंद्र बन गए. इसके बाद लगातार उन पर इस्‍तीफे का दबाव बन रहा था. रेलवे बोर्ड के चेयरमैन के बाद तो इसकी मांग और बढ़ गई. खासकर सोशल मीडिया पर विपक्ष उन पर लगातार निशाना साध रहा था. अब रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने हादसों की नैतिक जिम्मदारी ली है. उन्होंने अपने इस्तीफे की पेशकश की है. अगर उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया जाएगा तो हादसों की जिम्मेदारी के बाद इस्तीफा देने वाले देश के तीसरे रेलमंत्री बनेंगे. उनसे पहले आजाद भारत के इतिहास में सिर्फ दो रेल मंत्रियों ने इस तरह इस्तीफा दिया है. 


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आजाद भारत के इतिहास में हादसों के बाद नैतिकता के आधार पर इस तरह इस्तीफा देने वाले पहले रेल मंत्री पूर्व स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री थे. इसके बाद अटल विहारी बाजपेयी सरकार में रेल मंत्री रहे नीतीश कुमार भी इसी में क्रम में शामिल हैं.


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शास्त्री ने इसलिए दिया था इस्तीफा
पंडित जवाहर लाल नेहरू के कार्यकाल में लाल बहादुर शास्त्री को रेलमंत्री बनाया गया था. तमिलनाडु के अरियालुर में 27 नवंबर 1956 को भीषण ट्रेन हादसा हुआ था. हादसे में करीब 142 लोगों की मौत हो गई थी. लालबहादुर ने हादसों की नैतिक जिम्मेदारी ली और इस्तीफा दे दिया.


नीतीश कुमार दूसरे मंत्री थे, ज‍िन्‍होंने दिया  इस्तीफा
शास्त्री के बाद नैतिक आधार पर इस्तीफा देने वाले रेलमंत्री बिहार के मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी थे थे. बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में नीतीश एनडीए सरकार में रेलमंत्री बनाए गए थे. 1999 में गैसाल ट्रेन हादसा हुआ था. इस भीषण दुर्घटना में करीब 290 लोगों की मौत हो गई थी. इस तरह का इस्तीफा 43 साल बाद हुआ था.