Digital India Campaign: एक तरफ पाकिस्तान (Pakistan) कर्ज के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के सामने हाथ जोड़े खड़ा है, IMF की शर्तों के सामने घुटने टेक चुका है और वहीं दूसरी तरफ आईएमएफ भारत का मुरीद बन गया है. आईएमएफ ने अपनी नई रिपोर्ट में मोदी सरकार की कई नीतियों की जमकर तारीफ की है. IMF ने भारत के डिजिटल अभियान (Digital Campaign) की तारीफ करते हुए कहा है कि इस डिजिटल कामयाबी से उन सभी देशों को भारत से सबक लेने की जरूरत है जो अभी डिजिटल अभियान की शुरुआत कर रहे हैं. IMF के मुताबिक, भारत ने वर्ल्ड क्लास डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया है. डिजिटल तकनीक की वजह से ही भारत को कोविड वैक्सीनेशन तेज करने में भी मदद मिली. इसके अलावा IMF ने प्रधानमंत्री जन-धन योजना की भी तारीफ की है. इतना ही नहीं IMF ने भारत में आधार कार्ड की भी सराहना की है.


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नहीं खत्म हो रहीं पाकिस्तान की चुनौतियां


पाकिस्तान की चुनौतियां खत्म नहीं हो रहीं मगर अब उसके लिए थोड़ी राहत की खबर है. दरअसल सऊदी अरब सरकार पाकिस्तान की मदद के लिए तैयार हो गई है. जानकारी के मुताबिक, सऊदी अरब ने पाकिस्तान को 2 बिलियन डॉलर फंडिंग की मंजूरी दी है. इसके अलावा UAE से करीब 1 बिलियन डॉलर का कर्ज मिलने की भी उम्मीद है. पड़ोसी देशों से 3 बिलियन डॉलर की मदद मिलने के बाद पाकिस्तान के सामने आईएमएफ के साथ एक स्टाफ लेवल एग्रीमेंट साइन करने का रास्ता खुल सकता है. इससे पहले वर्ल्ड बैंक ने अपनी रिपोर्ट में पाकिस्तान को तत्काल विदेशी कर्ज का इंतजाम करने की चेतावनी दी थी.


कितना काम आएगा नया कर्ज?


सऊदी अरब की ओर से 2 अरब डॉलर की मदद पाकिस्तान को दिए जाने की तस्दीक IMF ने भी कर दी है. पाकिस्तान को अब UAE से 1 अरब डॉलर की मदद को लेकर जवाब का इंतजार है. रिपोर्ट के मुताबिक, मदद का औपचारिक ऐलान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के सऊदी अरब दौरे के दौरान कर सकता है. बताया जा रहा है कि तेल पर सब्सिडी IMF से डील में रुकावट है. IMF पाकिस्तान को पेट्रोल सस्ता करने पर रोक लगाने का आदेश दे चुका है.


IMF से डील की गारंटी नहीं!


बता दें कि पाकिस्तान की कंगाली दूर करने के लिए किए जा रहे उपाय काम नहीं आ रहे हैं. पड़ोसी अब मदद देने को तैयार तो हैं लेकिन चुनौती ये है कि उसके बाद भी IMF से डील हो जाएगी इसकी कोई गारंटी नहीं. इसकी वजह पाकिस्तान सरकार की गलत नीतियां हैं जिसका असर हर सेक्टर पर पड़ा है. पाकिस्तान में महंगाई बढ़ने के पीछे शहबाज सरकार का IMF के सामने सरेंडर ही है. कर्ज लेने के लिए पाकिस्तान की सरकार ने IMF की हर शर्त मानी. इसके बाद भी पाकिस्तान सिर्फ इंतजार ही कर रहा है. IMF का पाकिस्तान से एक के बाद एक मुद्दा सऊदी अरब और UAE से फंडिंग के बावजूद स्टाफ लेवल मीटिंग में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. शहबाज शरीफ और उनकी पूरी सरकार IMF के सामने घुटने टेक चुकी है लेकिन पाकिस्तान को कर्ज मिलने का रास्ता साफ नहीं हो पाया.


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