Evolution of indian flag: आसमान में लहराते हुए तिरंगे को देखकर हर भारतीय को बेहद गर्व का अनुभव होता है. वर्तमान समय में जिस झंडे को हम आसमान में लहराते हुए देखते हैं उसे आज के स्वरूप में लाने में कई बदलाव किए गए थे. गौरतलब है कि 7 अगस्त 1906 को कोलकाता के पारसी बागान स्क्वायर में भारतीय झंडे को पहली बार फहराया गया था. 26 जनवरी 2023 को देश अपना 74वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है. इससे पहले हम आपको भारतीय झंडे से जुड़ी कुछ जरूरी जानकारियां देने जा रहे हैं जिसके बारे में हर भारतीय को पता होना चाहिए.


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क्या है इनके रंगों का मतलब?


भारतीय तिरंगे में 3 रंग होते हैं. सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और आखिर में हरा रंग होता है. सफेद रंग की पट्टी पर नीले रंग का अशोक चक्र मौजूद होता है जिसमें 24 तीलियां होती हैं. तिरंगे में मौजूद हर एक रंग का एक विशेष महत्व होता है, जहां केसरिया त्याग का प्रतीक है, सफेद शांति का और हरा रंग हरियाली का प्रतीक है. सफेद पट्टी पर मौजूद अशोक चक्र सारनाथ के अशोक स्तंभ से लिया गया है जो निरंतर 24 घंटे हमें आगे बढ़ते रहने का संदेश देता है. भारतीय तिरंगे के लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 का होता है. भारत की संविधान सभा ने राष्ट्रीय ध्वज का प्रारूप 22 जुलाई 1947 को अपनाया था.


तिरंगे को फहराने से जुड़े कुछ विशेष नियम


आपको बता दें कि तिरंगे को फहराने से जुड़े कुछ विशेष नियम हैं जो हर किसी को पता होना चाहिए. याद रहे कभी भी फटे या गंदे तिरंगे को नहीं फहराना चाहिए. 15 अगस्त 1947 को लाल किला के लाहौरी गेट पर भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित लाल नेहरू ने तिरंगा फहराया था. आपको बता दें कि कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ सिर्फ एक ऐसी इकाई है जिसे भारतीय झंडे की आपूर्ति और निर्माण के लिए मान्यता दी गई है. तिरंगे के साथ कभी भी कोई दूसरा झंडा नहीं लहराना चाहिए. भारतीय झंडे को जान बूझ कर पानी या जमीन पर नहीं रखने की सख्त मनाही है.


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