BrahMos Missile Capability: भारतीय नौसेना ने पिछले कुछ समय में खुद को बहुत तेज़ी से आधुनिक बनाया है. वायुसेना के डिस्ट्रॉयर और फ्रिगेट्स को हमला करने के सबसे ताकतवर हथियार ब्रह्मोस मिसाइल और किसी हवाई हमले से सुरक्षा के लिए सबसे भरोसेमंद मिसाइल बराक से लैस किया गया है. तीनों सेनाओं में से नेवी ने सबसे पहले ब्रह्मोस का इस्तेमाल शुरू किया था. बाद में सेना और वायुसेना ने भी इसका इस्तेमाल शुरू कर दिया. 


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मिसाइल की रेंज बढ़ाकर 800 किमी की गई


ब्रह्मोस मिसाइलों की शुरुआती रेंज 290 किमी थी, जिसे बढ़ाकर 450 किमी किया गया था. अब दुनिया की इस सबसे तेज स्पीड से चलने वाली मिसाइल की रेंज बढ़ाकर 800 किमी से भी ज्यादा कर दी गई है. भारतीय नौसेना पहली बार इतनी लंबी रेंज वाली किसी मिसाइल से अपने जंगी जहाज़ों को लैस करेगी. भारतीय नौसेना में सबसे नया जंगी जहाज आईएनएस इंफाल नौसेना में शामिल होने से पहले ही ब्रह्मोस मिसाइल की फायरिंग का सफल परीक्षण कर चुका है. 


भारत को मिला रक्षा उत्पादों का पहला बड़ा निर्यात


भारत और रूस के सहयोग से बनी ब्रह्मोस साझेदारी में बनाया गया सबसे क़ामयाब हथियार बन गई है. ब्रह्मोस ने भारत को रक्षा उत्पादों का पहला बड़ा निर्यात भी दिलाया है. भारत ब्रह्मोस को फिलीपींस को निर्यात कर रहा है. कई दूसरे लेटिन अमेरिकी, अफ्रीकी और पूर्व एशियाई देशों ने ब्रह्मोस में दिलचस्पी दिखाई है.


अब भारत अपने इस सबसे घातक हथियार को समंदर में तैनात करने की तैयारी में है. जिससे चीन-पाकिस्तान दोनों का तनाव बढ़ना तय है. जल्द ही रतीय नौसेना को 200 ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम मिलने जा रहे हैं. नौसेना के जंगी जहाजों पर इन मिसाइलों की तैनाती होगी. 800 Km से ज्यादा दूर तक हमले की क्षमता के साथ ये सबसे लंबी रेंज की ब्रह्मोस मिसाइलें है.


मुंबई से कराची को तबाह कर देगी नेवी


ब्रह्मोस की शुरुआती रेंज 290 किलोमीटर से करीब तीन गुना ज्यादा दूर तक नई मिसाइल अटैक करेगी. आसान भाषा में मिसाइल की घातक शक्ति को ऐसे समझिए. मुंबई से पाकिस्तान के कराची शहर की दूरी करीब 900Km है और ब्रह्मोस की मदद से कोई युद्धपोत मुंबई के तट से ही कराची तक हमला कर पाएगा. ये मिसाइल अब भारतीय युद्धपोत के लिए दूसरे शिप या फिर जमीनी हमले का मुख्य हथियार होगा


इन मिसाइलों की डिलीवरी के लिए कुल मिलाकर 19 हजार करोड़ रुपये की मिसाइल डील हुई है. इसके लिए ब्रह्मोस एरोस्पेस और रक्षा मंत्रालय के बीच सौदा हुआ है. चीन की टेंशन आजकल ज्यादा इसलिए भी बढ़ रही है क्योंकि भारत ने फिलीपींस को 3107 करोड़ रुपये में ब्रह्मोस मिसाइलें सप्लाई कर दी हैं. इस मार्च में ही फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइलें मिल जाएंगी. 


चीन को उसके गढ़ में ही घेर रहा भारत


भारत- चीन की तरह चीन और फिलीपींस के बीच में भी दुश्मनी है. ऐसे में चीन को दक्षिण चीन सागर में ही घेरने और सबक सिखाने का भारत ने जबरदस्त इंतजाम कर दिया है. अगर चीन ने फिलीपींस के साथ ज्यादा आक्रामकता दिखाने की कोशिश की तो वह उसे अंजाम दिखाने में देर नहीं करेगा. भारत अब इस मिसाइल को चीन के दूसरे पड़ोसी और दुश्मन वियतनाम को भी सप्लाई करने जा रहा है. 


भारत और रूस के सहयोग से बनी ब्रह्मोस.. साझेदारी में बनाया गया सबसे क़ामयाब हथियार बन गई है. ब्रह्मोस ने भारत को रक्षा उत्पादों का पहला बड़ा निर्यात भी दिलाया है. फिलीपींस के साथ ब्रह्मोस मिसाइल के सौदे के बाद..कई दूसरे लैटिन अमेरिकी, अफ्रीकी और पूर्व एशियाई देशों ने भी ब्रह्मोस में दिलचस्पी दिखाई है. वर्ष 2025 तक 41 हजार करोड़ रुपये की ब्रह्मोस मिसाइलों को एक्सपोर्ट का लक्ष्य रखा गया है.