India Canada Truce on Hardeep Singh Nijjar: भारत और कनाडा में पिछले कई सालों से चली आ रही तनातनी एक बार फिर तेज हो गई है. भारत ने सोमवार को तीखा पलटवार करते हुए ओटावा में तैनात अपने उच्चायुक्त व अन्य राजनयिकों को निज्जर की हत्या में वांछित बताए जाने के बेतुका बताते हुए कनाडा के आरोपों को खारिज कर दिया. भारतीय विदेश मंत्रालय ने  इस मामले में कड़ी आपत्ति जताते हुए भारत में तैनात कनाडा के दूतावास प्रभारी स्टेवार्ट व्हीलर को तलब कर अपना विरोध जताया. साथ ही कहा कि कनाडा के आरोप राजनीतिक फायदे की घृणित स्ट्रेटजी के तरह उठाए गए हैं और इनमें कोई सच्चाई नहीं है. भारत ने संकेतों में कनाडा को चेता दिया कि अगर उसने कोई कदम कदम उठाया तो वह जोरदार पलटवार के लिए भी तैयार रहे.


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'ट्रूडो सरकार का राजनीतिक एजेंडा जिम्मेदार'


विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत को कल कनाडा से एक ‘डिप्लोमेटिक कम्युनिकेशन मिला, जिसमें कहा गया था कि कनाडा में तैनात भारतीय उच्चायुक्त संजय वर्मा और अन्य राजनयिक उस देश में जांच से संबंधित मामले में ‘निगरानी वाले व्यक्ति’ हैं’. मंत्रालय ने कहा, ‘भारत सरकार इन बेतुके आरोपों को दृढ़ता से खारिज करती है और इन्हें ट्रूडो सरकार के राजनीतिक एजेंडे के लिए जिम्मेदार ठहराती है, जो वोट बैंक की राजनीति पर केंद्रित है.’


'अगर भारतीय राजनयिकों पर एक्शन हुआ तो...'


विदेश मंत्रालय ने कनाडा को चेतावनी देते हुए कहा कि भारत अब ‘भारतीय राजनयिकों के खिलाफ आरोपों को गढ़ने के कनाडा सरकार के इन नए  प्रयासों’ के जवाब में आगे कदम उठाने का अधिकार सुरक्षित रखता है.


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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘प्रधानमंत्री ट्रूडो ने सितंबर 2023 में कुछ आरोप लगाए थे, लेकिन कनाडा सरकार ने हमारी ओर से कई अनुरोधों के बावजूद भारत सरकार के साथ सबूतों का एक अंश भी साझा नहीं किया है.’ उन्होंने कहा कि कनाडा का ताजा  कदम उन बातचीत के बाद उठाया गया है, जिसमें फिर से बिना किसी तथ्य के दावे किए गए थे.


ट्रूडो का भारत के प्रति बैरपूर्ण स्वभाव- भारत


विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘इससे कोई संदेह नहीं रह जाता कि जांच के बहाने राजनीतिक लाभ के लिए यह भारत को बदनाम करने की जानबूझकर रची गई रणनीति है.’ कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो पर सीधा अटैक करते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा, प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का भारत के प्रति बैरपूर्ण स्वभाव लंबे समय से स्पष्ट है. उनके मंत्रिमंडल में ऐसे व्यक्ति शामिल हैं, जो भारत के संबंध में चरमपंथी और अलगाववादी एजेंडे से खुले तौर पर जुड़े हुए हैं.’’


भारत ने अपने बयान में आगे कहा, ‘दिसंबर 2020 में भारत की आंतरिक राजनीति में उनका स्पष्ट हस्तक्षेप दिखाता है कि वह इस संबंध में कहां तक जाना चाह रहे थे. उनकी सरकार एक ऐसे राजनीतिक दल पर निर्भर है, जिसके नेता भारत के प्रति खुलेआम अलगाववादी विचारधारा का समर्थन करते हैं, जिससे मामला और बिगड़ गया.’


'संकीर्ण राजनीतिक लाभ के लिए अलगाववाद को दिया बढ़ावा'


कनाडा को आइना दिखाते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘कनाडाई राजनीति में विदेशी हस्तक्षेप पर आंखें मूंद लेने के लिए आलोचनाओं के घेरे में आई उनकी सरकार ने नुकसान को कम करने के प्रयास में जानबूझकर भारत को इसमें शामिल किया है.’ भारत ने कहा कि भारतीय राजनयिकों को निशाना बनाने वाला यह नवीनतम घटनाक्रम अब उसी दिशा में अगला कदम है.


विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, ‘यह कोई संयोग नहीं है कि यह घटना ऐसे समय हुई है जब प्रधानमंत्री ट्रूडो को विदेशी हस्तक्षेप के अपने आरोपों पर एक आयोग के समक्ष गवाही देनी है. यह भारत विरोधी अलगाववादी एजेंडे को भी बढ़ावा देता है जिसे ट्रूडो सरकार ने संकीर्ण राजनीतिक लाभ के लिए लगातार बढ़ावा दिया है.’


'बोलने की स्वतंत्रता के नाम पर आतंकियों को दिया मंच'


विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘इस उद्देश्य से ट्रूडो सरकार ने जानबूझकर हिंसक चरमपंथियों और आतंकवादियों को कनाडा में भारतीय राजनयिकों और सामुदायिक नेताओं को परेशान करने, धमकाने और डराने के लिए जगह दी है. इसमें उन्हें और भारतीय नेताओं को जान से मारने की धमकी देना भी शामिल है.’


भारत ने कहा, ‘इन सभी गतिविधियों को बोलने की स्वतंत्रता के नाम पर उचित ठहराया गया है. अवैध रूप से कनाडा में प्रवेश करने वाले कुछ लोगों को तेजी से नागरिकता प्रदान की गई. कनाडा में रहने वाले आतंकवादियों और संगठित अपराध से जुड़े लोगों के संबंध में भारत सरकार के कई प्रत्यर्पण अनुरोधों की अनदेखी की गई है.’


'संजय कुमार वर्मा हमारे वरिष्ठ सेवारत राजनयिक'


विदेश मंत्रालय ने कहा कि उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा भारत के सबसे वरिष्ठ सेवारत राजनयिक हैं, जिनका 36 वर्षों का शानदार करियर रहा है. वे जापान और सूडान में राजदूत रह चुके हैं. इसके साथ ही इटली, तुर्की, वियतनाम और चीन में भी सेवा दे चुके हैं. कनाडा सरकार की ओर से उन पर लगाए गए आरोप हास्यास्पद हैं और अवमानना ​​के योग्य हैं.


भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार ने भारत में कनाडा के उच्चायोग की गतिविधियों का संज्ञान लिया है. जो वर्तमान शासन के राजनीतिक एजेंडे को पूरा करता है.’


दोनों देशों में क्यों चल रहा तनाव? 


रिपोर्ट के मुताबिक जून 2023 में कनाडा में छिपे खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. भारत में आयोजित जी-20 सम्मेलन से वापस लौटने के बाद पीएम जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया कि इस हत्या के पीछे भारत का हाथ है. उसने भारतीय दूतावास के कई अधिकारियों को अवांछित बताते हुए निष्कासित भी किया. इसके बदले में भारत ने उसके कई राजनयिकों को बाहर निकाल दिया. 


भारत ने न केवल कनाडा के आरोप को बेतुका बताते हुए खारिज किया बल्कि उससे मर्डर में उसका हाथ साबित करने के लिए सबूत भी मांगा लेकिन आज तक कनाडा ऐसा कोई सबूत नहीं दे सका है. 


लाओस में ट्रूडो ने फिर भारत को उकसाया


दोनों देशों के तनाव भरे संबंध हाल में लाओस में हुए आसियान शिखर सम्मेलन में भी दिखाए दिए, जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और जस्टिन ट्रूडो के बीच एक संक्षिप्त मुलाकात तो हुई लेकिन उसका ठंडापन जल्द ही लोगों को पता चल गया. नई दिल्ली में सूत्रों ने बैठक को महत्वहीन बताया, जबकि ट्रूडो ने इसे "संक्षिप्त आदान-प्रदान" वाली मीटिंग बताया. भारत को उकसाते हुए ट्रूडो ने कहा कि उन्होंने कनाडाई लोगों की सुरक्षा और कानून के शासन को बनाए रखने के बारे में अपनी चिंताओं को दोहराया. 


अब करीब डेढ़ साल बाद कनाडा ने निज्जर की हत्या में ओटावा में तैनात भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा और कुछ अन्य राजनयिकों को 'रुचि के व्यक्ति' यानी वांछित के रूप में शामिल किया है. भारत ने कनाडा की इस हरकत पर पलटवार करते हुए उसके अधिकारियों को बदनाम करने और अपनी धरती पर खालिस्तानी उग्रवाद पर अंकुश न लगा पाने का आरोप लगाया है.