India Canada News in Hindi: भारत और कनाडा के रिश्ते पिछले सालों में सबसे निचले स्तर पर पहुंचते दिख रहे हैं. निजर्र केस में भारतीय राजनयिकों को निगरानी सूची में डालने से नाराज भारत ने अपने कई डिप्लोमेट्स को वापस बुलाने का ऐलान कर दिया है.
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India recall its High Commissioner from Canada: खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर के मर्डर पर एक बार फिर भारत और कनाडा में तनाव बढ़ गया है. ट्रूडो सरकार की ओर से कनाडा में तैनात भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा और अन्य अफसरों को निगरानी सूची में शामिल करने के बाद भारत ने अपने इन सभी डिप्लोमेट्स को वापस बुलाने का फैसला किया है.
हमें कनाडा की सिक्योरिटी पर भरोसा नहीं- भारत
भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि कनाडा में जारी उग्रवाद और हिंसा के माहौल में, ट्रूडो सरकार के कार्यों ने हमारे राजनयिकों की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है. हमें उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की वर्तमान कनाडाई सरकार की प्रतिबद्धता पर कोई भरोसा नहीं है. लिहाजा भारत सरकार ने अपने उच्चायुक्त और अन्य संबंधित राजनयिकों व अधिकारियों को कनाडा से वापस बुलाने का फैसला किया है.
#WATCH | Delhi: Canadian Chargé d'Affaires Stewart Wheeler leaves from the MEA.
He says, "...Canada has provided credible, irrefutable evidence of ties between agents of the Government of India and the murder of a Canadian citizen on Canadian soil. Now, it is time for India to… pic.twitter.com/RdOXRpoTg6
— ANI (@ANI) October 14, 2024
कनाडा के उच्चायोग प्रभारी समेत 6 राजनयिक निष्कासित
अपने उच्चायुक्त संजय वर्मा समेत 6 राजनयिकों को वापस बुलाने के फैसले के बाद भारत ने कनाडा पर एक और वार किया. देर शाम आदेश जारी करके भारत ने दिल्ली में दिल्ली में तैनात कनाडा के 6 राजनयिकों को निष्कासित करने का आदेश जारी कर दिया. जिन 6 कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित करने का निर्णय लिया है, उनके नाम स्टीवर्ट रॉस व्हीलर (कार्यवाहक उच्चायुक्त), पैट्रिक हेबर्ट (उप उच्चायुक्त), मैरी कैथरीन जोली (प्रथम सचिव), लैन रॉस डेविड ट्राइट्स (प्रथम सचिव), एडम जेम्स चुइप्का (प्रथम सचिव) और पाउला ओरजुएला (प्रथम सचिव). इन सभी राजनयिकों को 19 अक्टूबर को रात 12 बजे से पहले भारत छोड़ देने का आदेश दिया गया है.
कई सालों से ठंडेपन के शिकार रिश्ते
बताते चलें कि भारत और कनाडा के रिश्ते पिछले कई सालों में ठंडेपन से गुजर रहे हैं. इसकी वजह पीएम जस्टिन ट्रूडो की तुष्टिकरण नीति है. असल में कनाडा में करीब 7 प्रतिशत भारतीय रहते हैं. इनमें सिखों की आबादी करीब 2 प्रतिशत है. संगठित वोट डालने और स्थानीय लोगों से जल्दी घुल-मिल जाने की वजह से यह वहां का एक प्रभावशाली समुदाय बन चुका है. वहां पर सिखों की बड़ी पार्टी न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी है, जिसकी अगुवाई जगमीत सिंह करता है.
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तुष्टिकरण में राष्ट्रहित भूले ट्रूडो!
इस पार्टी से जुड़े अधिकतर नेता खालिस्तान समर्थक हैं और खुलकर भारत विरोधी एजेंडा चलाते हैं. भारत में खालिस्तानी आतंकवाद भड़काने में भी इसी पार्टी का बड़ा हाथ रहा है. भारत में अपराध कर भाग जाने वाले सिख आरोपियों को इस पार्टी की ओर से शरण दी जाती है. भारत की ओर से कई बार इन तत्वों पर अंकुश लगाने की मांग की गई. लेकिन सिख वोटों के लालच में ट्रूडो हमेशा इस मांग की अनदेखी करते रहे हैं.
निज्जर की हत्या से मिल गया मौका
अपने इस वोटबैंक को साधने के लिए ट्रूडो ने 2018 में अपने परिवार के साथ अमृतसर की यात्रा भी की थी. लेकिन तत्कालीन मोदी सरकार और राज्य के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ट्रूडो की इस यात्रा को कोई भाव नहीं दिया था. पिछले साल कनाडा में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद ट्रूडो को अपनी राजनीति चमकाने का और मौका मिल गया.
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भारत पर लगा दिए बेतुके आरोप
ट्रूडो ने बिना जांच पूरी हुए भारत पर इस हत्या में शामिल होने का आरोप लगा दिया. साथ ही भारत के उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा की ओर भी उंगली उठाई. भारत ने सख्ती के साथ न केवल ट्रूडो के इन आरोपों को खारिज किया बल्कि उनसे घटना के संबंध में ठोस सबूत भी मांगे लेकिन डेढ़ साल बाद भी ट्रूडो सरकार ये सबूत मुहैया नहीं करवा पाई है.
भारत का कनाडा पर पलटवार
अब कनाडा में एक बार फिर चुनाव आने वाले हैं. ऐसे में ट्रूडो सरकार ने एक कदम और आगे बढ़ाते हुए भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा और उच्चायोग में तैनात कई अफसरों को निगरानी सूची में शामिल कर लिया है. इसका दूसरा मतलब ये है कि वह इन राजनयिकों के खिलाफ कभी भी कार्रवाई कर सकता है. इसलिए भारत ने आज शाम को न केवल दिल्ली में तैनात कनाडा के दूतावास प्रभारी को बुलाकर कड़ी नाराजगी जताई, बल्कि कुछ घंटे के अंदर ही कनाडा में तैनात अपने कई राजनयिकों को बुलाने का ऐलान भी कर दिया. इसके साथ ही भारत ने साफ कर दिया है कि अगर कनाडा इस जंग को अगले लेवल तक ले जाना चाहता है तो वह उसके लिए तैयार है और ट्रूडो सरकार पर जबरदस्त पलटवार करेगा.