India-China Border: रूस में ब्रिक्स सम्मलेन के इतर पीएम मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में डेमचोक और डेपसांग मैदानी क्षेत्रों में टकराव वाले बिंदुओं से सैनिकों की वापसी शुरू कर दी है. लेकिन यहां यह समझना जरूरी है कि भारतीय सेना के सूत्रों के अनुसार, हाल ही में हुए समझौते केवल देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में लागू होंगे, अन्य विवादित इलाकों पर इनका असर नहीं होगा. दोनों पक्षों के सैनिक अपनी उन पुरानी जगहों पर लौटेंगे, जहां वे अप्रैल 2020 से पहले तैनात थे, और वे उन्हीं इलाकों में गश्त करेंगे जहां उस समय तक करते थे.


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सैनिकों की संख्या तय की गई


इतना ही नहीं इसके अलावा, सैनिकों की संख्या तय की गई है और गश्त के दौरान किसी भी गलतफहमी से बचने के लिए दोनों पक्ष एक-दूसरे को जानकारी देंगे. इन क्षेत्रों में अस्थायी ढांचे जैसे शेड और टेंट हटाए जाएंगे और इलाके की निगरानी दोनों ओर से की जाएगी.


डेमचोक और डेपसांग मैदानी क्षेत्रों में


असल में कुछ दिन पहले दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास से सैनिकों की वापसी और गश्ती को लेकर समझौता हुआ था जो चार साल से अधिक समय से जारी गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ी सफलता है. सूत्रों ने कहा कि डेमचोक और डेपसांग मैदानी क्षेत्रों में टकराव वाले बिंदुओं से सैनिकों की वापसी शुरू हो गई है. 


 समझौते को अंतिम रूप दिया गया


जून 2020 में गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच भीषण संघर्ष के बाद संबंधों में तनाव आ गया था. विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 21 अक्टूबर को दिल्ली में संवाददाताओं से कहा था कि पिछले कुछ सप्ताह में हुई बातचीत के बाद समझौते को अंतिम रूप दिया गया और इससे 2020 में सामने आए मुद्दों का समाधान निकलेगा. 


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने 23 अक्टूबर को रूस के कजान में ब्रिक्स सम्मेलन से इतर अपनी द्विपक्षीय बातचीत में पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास से सैनिकों की वापसी और गश्ती को लेकर हुए समझौते का समर्थन किया था. पूर्वी लद्दाख के विवाद को लेकर भारत के लगातार रुख का जिक्र करते हुए मिस्री ने द्विपक्षीय बैठक के बाद कजान में मीडियाकर्मियों से कहा था कि सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन चैन बहाल होने से द्विपक्षीय संबंधों के सामान्य होने का मार्ग प्रशस्त होगा. (Photo: AI)