Explained: क्या लद्दाख में भारतीय सेना पुरानी पोजीशन पर फिर से गश्त करेगी? चीन के साथ डील की पूरी बात समझिए
LAC Tension: भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर 4 साल पुरानी स्थिति लौटने वाली है और यह दोनों देशों के बीच गतिरोध के समाधान के लिए एक समझौते पर सहमति बनने के बाद हुआ है. इस बीच पीएम मोदी और शी जिनपिंग के रूस के काजान शहर में बिक्स शिखर सम्मेलन के अलग द्विपक्षीय मुलाकात करने की संभावना है.
India China Deal: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) रूस में हो रहे ब्रिक्स सम्मेलन में शामिल होने के लिए आज (22 अक्टूबर) रवाना होंगे. इससे पहले भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव कम होता दिख रहा है, क्योंकि पिछले 4 सालों में कई दौर के बातचीत के बाद आखिरकर भारत और चीन के बीच सहमति बन गई है. अब वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीन के सैनिक उसी तरह गश्त कर सकेंगे, जैसे मई 2020 से पहले करते थे. इसकी जानकारी विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गतिरोध के समाधान के लिए भारत-चीन के बीच एक समझौते पर सहमति बनने के बाद दी. बता दें कि मई 2020 में एलएसी पर चीन के आक्रामक रुख की वजह से तनाव बढ़ गया था और 15 जून 2020 को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के आक्रमण में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. इस दौरान चीन को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा था और उसके भी कई सैनिक मारे गए थे, लेकिन चीन ने कभी भी आधिकारिक तौर पर आंकड़े की जानकारी नही दी है.
सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी
विदेश सचिव द्वारा पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गश्त पर समझौते की घोषणा के तुरंत बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि चीन के साथ सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी हो गई है. इस समझौते को रूस में इस हफ्ते ब्रिक्स की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच संभावित मुलाकात से पहले पूर्वी लद्दाख में 4 सालों से अधिक समय से जारी सैन्य गतिरोध के समाधान की दिशा में एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है.
कब होगी पीएम मोदी-जिनपिंग की मुलाकात?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) रूस में हो रहे ब्रिक्स सम्मेलन (BRICS Summit) में शामिल होने के लिए आज (22 अक्टूबर) रवाना होंगे. पूरी दुनिया की नजरें आज से शुरु हो रहे 16वें ब्रिक्स सम्मेलन पर हैं, क्योंकि इस सम्मेलम में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) भी शामिल होंगे. भारतीय विदेश मंत्रालय ने मुताबिक, पीएम मोदी की ब्रिक्स सदस्य देशों के साथ द्विपक्षीय बैठकें करने की भी उम्मीद है. हालांकि, विदेश मंत्रालय ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ पीएम मोदी बैठक करेंगे या नहीं.
संयमित और दृढ़ कूटनीति का नतीजा: एस जयशंकर
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, 'हम गश्त के साथ सैन्य वापसी पर एक समझौते पर सहमत हुए, जिसके तहत 2020 की स्थिति बहाल हो गई. हम कह सकते हैं कि चीन के साथ सैन्य वापसी की प्रक्रिया पूरी हो गई है. मुझे लगता है कि यह एक अच्छा कदम है. यह एक सकारात्मक घटनाक्रम है और मैं कहूंगा कि यह बहुत ही संयमित और बहुत ही दृढ़ कूटनीति का नतीजा है.' जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद दोनों देशों के संबंधों में काफी तनाव पैदा हो गया. पिछले कुछ वर्षों में कई सैन्य और कूटनीतिक वार्ताओं के बाद दोनों पक्ष टकराव वाले कई स्थानों से पीछे हटे. हालांकि, देपसांग और डेमचोक में गतिरोध के समाधान के लिए बातचीत में बाधाएं आईं.
तो क्या अब देपसांग में गश्त कर सकेगी भारतीय सेना?
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि सीमा पर शांति और सौहार्द दोनों देशों के बीच समग्र संबंधों के लिए महत्वपूर्ण है. जयशंकर ने कहा, 'हमने हमेशा कहा है कि अगर आप शांति और सौहार्द को भंग करेंगे तो बाकी रिश्ते कैसे आगे बढ़ेंगे?' एक सवाल पर विदेश मंत्री ने संकेत दिए कि भारत देपसांग और अन्य इलाकों में गश्त करने में सक्षम होगा. उन्होंने कहा, 'हमारे बीच एक सहमति बनी है, जो न सिर्फ देपसांग में, बल्कि और भी इलाकों में गश्त की अनुमति देगी. मेरी समझ से इस सहमति के जरिए हम उन इलाकों में गश्त करने में सक्षम होंगे, जहां हम 2020 में (गतिरोध से पहले) कर रहे थे.'
सीमा विवाद पर चीन के साथ कैसे बनी बात?
जयशंकर ने कहा कि दोनों पक्ष गतिरोध खत्म करने के लिए सितंबर 2020 से बातचीत कर रहे हैं. उन्होंने कहा, 'एक तरफ हमें स्पष्ट रूप से जवाबी तैनाती करनी थी, लेकिन साथ-साथ हम बातचीत भी करते रहे. सितंबर 2020 से बातचीत कर रहे हैं, जब मैंने मॉस्को में अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात की थी. यह बहुत ही संयमित प्रक्रिया रही है और शायद यह 'जितना हो सकती थी और होनी चाहिए थी, उससे कहीं अधिक जटिल थी.' उन्होंने कहा कि 2020 से पहले एलएसी पर शांति थी और 'हमें उम्मीद है कि हम उस स्थिति को बहाल कर सकेंगे.' जयशंकर ने कहा,' यह हमारी प्रमुख चिंता थी, क्योंकि हमने हमेशा कहा है कि अगर आप शांति और स्थिरता में खलल डालते हैं, तो आप संबंधों के आगे बढ़ने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?' वार्ता की कठिन डगर पर जयशंकर ने कहा, 'आप कह सकते हैं कि कई मौकों पर, लोगों ने लगभग उम्मीदें छोड़ दी थीं.'
भारत लगातार कहता आ रहा है कि जब तक सीमावर्ती इलाकों में शांति बहाल नहीं होती, तब तक चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते. भारत गतिरोध शुरू होने के बाद से हुई सभी वार्ताओं में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) पर देपसांग और डेमचोक से अपने सैनिक हटाने का दबाव डाल रहा है. पिछले महीने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने रूसी शहर सेंट पीटर्सबर्ग में विवाद का जल्द समाधान तलाशने पर ध्यान केंद्रित करते हुए बातचीत की थी. ब्रिक्स देशों के एक सम्मेलन से इतर हुई बातचीत में दोनों पक्ष पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले बाकी बिंदुओं से पूर्ण सैन्य वापसी के लिए 'तत्काल' और 'दोगुने' प्रयास करने पर सहमत हुए थे. बैठक में डोभाल ने वांग से कहा था कि द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य करने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता और एलएसी का सम्मान आवश्यक है.
(इनपुट- न्यूज़ एजेंसी भाषा)