भारत में पड़ने वाली गर्मी को लेकर भविष्यवाणी की गई है कि इस साल पिछले वर्ष से भी ज्यादा भयानक गर्मी पड़ेगी. राष्ट्रीय मौसम कार्यालय द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 1901 के बाद से अब तक के समय को देखें तो इस बार की फरवरी सबसे गर्म रही है, जो कि बेहद चिंता का विषय है. रिपोर्ट के मुताबिक, साल दर साल बढ़ रही गर्मी की वजह से मानव अस्तित्व के वजूद पर खतरा मंडराने लगा है. कहा जा रहा है कि गर्मी की वजह से तबाही हो सकती है.


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भारत में पिछले कुछ दशकों के दौरान, जलवायु परिवर्तन के कारण गर्मी में तेजी देखी गई है. विश्व बैंक के आकलन के अनुसार, भारत जल्द ही दुनिया के उन पहले देशों में शामिल हो सकता है, जहां गर्मी की वजह से मानव अस्तित्व पर खतरा हो सकता है.


पिछले वर्ष गर्मी ने कई रिकॉर्ड तोड़ दिए थे. तापमान 50 डिग्री सेल्सियस के पार चला गया था. बड़ी मात्रा में फसल नष्ट हो गए थे. किसानों को करोड़ों-अरबों का घाटा हुआ था. 50 डिग्री का तापमान किसी भी प्राणी के लिए असहनीय होता है. ऐसे में तंग शहरों में बसे लोगों को इसकी वजह से परेशानी का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि जहां वो रहते हैं वहां तक तेज गति में हवा की पहुंच नहीं हो पाती. ऐसे में कमरों को ठंडा रखने के लिए किए जाने वाले उपाय भी वहां बाहर के तापमान को गर्म करते हैं.


यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के एक जलवायु वैज्ञानिक कीरन हंट ने देश के मौसम के पैटर्न का अध्ययन किया है. वो कहते हैं कि मानव पर पड़ने वाले गर्मी का असर तापमान और आर्द्रता के मेल से उत्पन्न होता है. भारत आम तौर पर सहारा रेगिस्तान जैसे गर्म स्थानों की तुलना में अधिक नमी वाला क्षेत्र है. इसका मतलब है कि इस क्षेत्र में पसीने से बचने के रास्ते नजर नहीं आते.


विश्व बैंक की नवंबर की एक रिपोर्ट में चेताया गया था कि भारत दुनिया में उन पहले स्थानों में से एक बन सकता है जहां वेट-बल्ब का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार कर सकता है. अब सवाल यह है कि क्या हम गर्मी से होने वाली पीड़ा के आदी हो गए हैं? रिपोर्ट के लेखकों में से एक, आभास झा ने कहा कि यह अचानक शुरू होने वाली आपदा नहीं है, यह धीरे-धीरे शुरू होती है, ऐसे में हम इस पर किसी प्रकार से रोक नहीं लगा सकते.