Nijjar Case: झूठे आरोप लगाकर अपने ही जाल में फंसे कनाडा पर भारत ने गुरुवार को जमकर हमला बोला. खालिस्तानियों को अपने यहां शरण देने और भारत विरोधी गतिविधियों पर कोई एक्शन नहीं लेने को लेकर उसकी पोल अब खुल चुकी है. भारत और कनाडा के रिश्ते इस वक्त बुरी तरह बिगड़े हुए हैं. 


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कनाडा पर तंज कसते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, 'हमने प्रधानमंत्री ट्रूडो की टिप्पणी देखी है कि वे एक भारत नीति में विश्वास करते हैं, लेकिन अभी तक हमने भारत विरोधी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई है. यहां कथनी और करनी में अंतर है. ट्रूडो सरकार के निराधार आरोपों के कारण भारत-कनाडा के बीच मौजूदा तनाव बढ़ा.'


'नहीं दिए कोई सबूत'


 भारत के खिलाफ कनाडा के गंभीर आरोपों के समर्थन में कोई सबूत साझा नहीं किया गया है. जायसवाल ने कहा, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के सार्वजनिक जांच के दौरान किए गए कबूलनामे से भारत के खिलाफ लगाए गए आरोपों का महत्व पता चलता है. संघीय चुनाव प्रक्रियाओं और लोकतांत्रिक संस्थाओं में विदेशी हस्तक्षेप की सार्वजनिक जांच के सामने गवाही देते हुए ट्रूडो ने बुधवार को स्वीकार किया कि जब उन्होंने पिछले वर्ष खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय सरकारी एजेंटों की संलिप्तता का आरोप लगाया था, तब उनके पास केवल खुफिया जानकारी थी और कोई ठोस सबूत नहीं था.


गौरतलब है कि सिख अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मुद्दे को लेकर भारत और कनाडा के बीच कूटनीतिक विवाद और गहरा गया है. प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी चरमपंथी निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की ‘संभावित’ संलिप्तता के पिछले साल सितंबर में आरोप लगाए थे. भारत ने ट्रूडो के आरोपों को ‘बेतुका’ बताते हुए खारिज किया था। इसके बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनाव आ गया. निज्जर की पिछले साल जून में ब्रिटिश कोलंबिया में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.


भारत का कनाडा पर करारा प्रहार


उन्होंने आगे कहा, 'हमने कनाडा के कार्यवाहक उच्चायुक्त को तलब किया था और उसके बाद बताया कि हमें विश्वास नहीं है कि कनाडा सरकार हमारे राजनयिकों की सुरक्षा का ध्यान रखेगी और इसलिए हमने अपने उच्चायुक्त और उनके साथ 5 अन्य राजनयिकों को वापस बुलाने का फैसला किया था, उसके बाद, कनाडा की ओर से उन्हें जाने के लिए कहा गया लेकिन हमने उनके निर्णय से पहले ही अपने राजनयिकों को वापस बुला लिया था.' 


'बिश्नोई गैंग पर एक्शन लेने को कहा था'


इसके अलावा भारत ने लॉरेंस बिश्नोई गैंग की गिरफ्तारी से भी कनाडा से कई साल पहले अनुरोध किया था. लेकिन कनाडा ने अब तक उस पर कोई एक्शन नहीं लिया. रणधीर जायसवाल ने कहा , 'हमने लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के लोगों की गिरफ्तारी के लिए कनाडाई पक्ष से कुछ साल पहले और हाल में भी अनुरोध किया था. उन्होंने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है, किसी को गिरफ़्तार नहीं किया है...वे (कनाडा सरकार) अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का बहाना देकर ऐसे अलगाववादी ताकतों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहे...उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की है और इसके पीछे राजनीतिक मकसद भी है.'


'26 प्रत्यर्पण अनुरोध लंबित हैं'


इतना ही नहीं भारत ने कनाडा से प्रत्यर्पण के कई अनुरोध भी किए हुए हैं, जिन पर कनाडा ने कोई ध्यान नहीं दिया. जायसवाल ने कहा, 'कनाडाई पक्ष के पास 26 प्रत्यर्पण अनुरोध लंबित हैं, ये पिछले एक दशक या उससे अधिक समय से हैं. इसके साथ ही कुछ अपराधियों की अंतिम गिरफ्तारी के कई अनुरोध भी हैं जो कनाडा पक्ष के पास लंबित हैं. हमने लॉरेंस बिश्नोई गिरोह सहित गिरोह के सदस्यों के बारे में कनाडाई सरकार के साथ सुरक्षा संबंधी जानकारी साझा की थी और उनसे उन्हें (अपराधियों को) गिरफ्तार करने का अनुरोध किया था. अभी तक हमारे अनुरोध पर कनाडा की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है. हमें यह वास्तव में अजीब लगता है कि अब जिन लोगों को हम निर्वासित करना चाहते थे या जिन पर कार्रवाई करना चाहते थे, हमें बताया जा रहा है कि, RCMP (रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस) कनाडा में इन लोगों की ओर किए गए अपराधों के लिए भारतीय पक्ष को दोषी ठहराया जा रहा है.