बहराइचः भारत और नेपाल (India Nepal) के बीच प्रचलित रोटी-बेटी का संबंध सोमवार को उस वक्त सही साबित होते हुए दिखा जब रूपई डीहा सीमा के दोनों तरफ मौजूद सैकड़ों बहनों ने सीमा पार मौजूद अपने भाइयों को राखी बांधने की जिद की. इसके बाद दोनों देशों को बहनों की जिद के आगे झुकना पड़ गया


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इन बहन-भाइयों के प्यार के सामने कोरोना वायरस (Coronavirus), हाई अलर्ट, दोनों सरकारों के बीच तल्ख हो चले रिश्ते और लॉकडाउन (Lockdown) की सभी बंदिशें फीकी पड़ गईं. दोनों देशों को थक.हारकर कुछ घंटो तक बहनों के लिए सीमा को खोलना पड़ ही गया.


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सशस्त्र सीमा बल की 42वीं वाहिनी के कमांडेंट प्रवीन कुमार ने मंगलवार को बताया कि कोविड.19 महामारी और अयोध्या में मंदिर शिलान्यास के मद्देनजर सीमा पर कड़ी चौकसी है. इसके  बावजूद सोमवार को रक्षाबंधन पर सुबह से ही उत्तर प्रदेश के भारत-नेपाल की रूपई डीहा सीमा पर बहनें अपने भाइयों को राखी बांधने के लिए खड़ी हुई थीं. उनके द्वारा  भाई को राखी बांधने की जिद की वजह से नेपाली अधिकारियों से सम्पर्क कर बंद सीमा को कुछ देर खोलने के लिए राजी किया गया. प्रवीन बताया कि इनमें से कुछ भाई-बहन लखनऊ, देवरिया, गोंडा, बलरामपुर और श्रावस्ती जिलों से रूपईडीहा सीमा पर पहुंचे थे.


प्रवीन ने बताया कि दोनों देशों के अधिकारियों के बीच इस बात पर सहमति बनी कि मास्क लगाकर और शारीरिक दूरी बरकरार रखते हुए और सैनेटाइजर का प्रयोग करने की शर्त पर सिर्फ बहनों के लिए कुछ घंटों के लिए आवागमन की इजाजत दी जाएगी. इसके बाद सीमा खोल दी गई नेपाल से आई बहनों ने भारतीय कस्बे रूपईडीहा में और भारत से नेपाल गयी बहनों ने नेपाली शहर नेपालगंज में भाइयों को राखी बांधकर अपना त्योहार मनाया. कमांडेंट ने बताया कि सोमवार दोपहर 12 बजे से शाम पांच बजे तक के लिए अनुमति दी गयी थी


इस दौरान करीब 700 बहनों ने भारत से नेपाल जाकर और करीब 400 बहनों ने नेपाल से भारत आकर अपने भाइयों को राखी बांधी. शाम पांच बजे सीमा पहले की तरह बंद कर दिया गया.


गौरतलब है कि भारत और नेपाल के लोगों के रिश्तेदार बड़ी संख्या में इन दोनों देशों में रहते हैं. दोनों देशों के बीच खुली सीमा होने के कारण ये रिश्तेदार बिना रोक-टोक मिलते.जुलते रहते हैं. इस साल मार्च से लॉकडाउन के कारण इन लोगों का आवागमन बंद हो गया है. वहीं सीमा पर हाई अलर्ट है और दोनों देशों की सरकारों के बीच इन दिनों रिश्तों में भी पहले जैसी मुधरता नहीं है.