Dengue Vaccine: बारिश का मौसम खत्म होते ही डेंगू का खौफ तेजी से बढ़ने लगता है. मच्छर जनित इस बीमारी के हजारों केस सामने आने लगती है. कई मामलों में तो मरीजों की स्थिति बहुत ज्यादा जटिल हो जाती है और उनका प्लेटलेट गिरने लगता है. घरेलू उपाय के साथ प्लेटलेट चढ़वाने तक की नौबत आ जाती है. अब डेंगू को लेकर इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च सेंटर ने राहत की खबर दी है. भारत ने डेंगू की वैक्सी तैयार कर ली है और इसके फाइनल ट्रायल पर काम चल रहा है.


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डेंगू की वैक्सीन भारत में बनी है


इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के डायरेक्टर जनरल डॉ. राजीव बहल ने बुधवार को डेंगू के लिए बनाई गई वैक्सीन के बारे में जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि डेंगू की वैक्सीन भारत में बनी है, जबकि इसकी टेक्नोलॉजी यूएस की एनआईएच ने बनाई थी. वह इस वैक्सीन को नहीं बना पाए थे. लेकिन, भारत की कंपनी ने इस वैक्सीन को पूरी तरह से निर्मित किया है.


वैक्सीन को आईसीएमआर ने किया सपोर्ट


डॉ. राजीव बहल ने कहा कि डेंगू के लिए बनाई गई वैक्सीन को आईसीएमआर ने सपोर्ट किया है. ड्रग कंट्रोल जनरल ने फेस-3 के फाइनल ट्रायल को मंजूरी दे दी है. अगले दो साल के बीच इसका रिजल्ट आ जाएगा. नतीजे पॉजिटिव आने पर हम वैक्सीन का इस्तेमाल पूरी तरह से कर पाएंगे. यह एक ऐसी वैक्सीन होगी, जो डेंगू के लिए हमने अपने देश में बनाई है.


एक और वैक्सीन पर काम चल रहा


उन्होंने आगे बताया, "इसी तरह से एक और वैक्सीन पर काम चल रहा है, जो जूनोटिक बीमारी के लिए है. इस वैक्सीन को भी भारत में निर्मित किया गया है, जिसे आईसीएमआर के सहयोग से मिलकर बनाया गया है. इस वैक्सीन का छोटे जानवरों में किए गए टेस्ट पॉजिटिव आए हैं. अब उसका बड़े जानवरों और फिर ह्यूमन में टेस्ट किया जाएगा. पहले टेस्ट का अप्रूवल भी हमें मिल गया है."


इसकी तकनीक अमेरिका के NIH द्वारा विकसित की गई थी


डॉ. राजीव बहल ने डेंगू के लिए बनी वैक्सीन के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि यह वैक्सीन भारत में तैयार की गई है, जबकि इसकी तकनीक अमेरिका के NIH द्वारा विकसित की गई थी. हालांकि, NIH इसे बनाने में सफल नहीं हो सके, लेकिन भारतीय कंपनी ने इसे पूरी तरह से विकसित किया है.


वैक्सीनेशन प्रक्रिया: डॉ. बहल ने बताया कि डेंगू की वैक्सीन को ICMR ने समर्थन दिया है और ड्रग कंट्रोल जनरल ने इसके तीसरे चरण के फाइनल ट्रायल को मंजूरी दी है. अगले दो साल में इसके परिणाम सामने आएंगे. अगर नतीजे सकारात्मक रहे, तो हम इस वैक्सीन का उपयोग शुरू कर सकेंगे. यह एक महत्वपूर्ण वैक्सीन होगी, जो विशेष रूप से डेंगू के लिए भारत में बनाई गई है.


जूनोटिक बीमारी के लिए दूसरी वैक्सीन: इसके अलावा, डॉ. बहल ने बताया कि एक और वैक्सीन पर भी काम चल रहा है, जो जूनोटिक बीमारियों के लिए है. इसे भी भारत में विकसित किया गया है और ICMR के सहयोग से बनाया जा रहा है. इस वैक्सीन के छोटे जानवरों पर किए गए परीक्षण सकारात्मक रहे हैं. अब इसे बड़े जानवरों और फिर मानव पर टेस्ट किया जाएगा, जिसका पहला परीक्षण पहले ही मंजूर हो चुका है.


डायग्नोस्टिक टेस्ट: उन्होंने यह भी बताया कि भारत में एमपोक्स जैसे डायग्नोस्टिक टेस्ट भी विकसित किए गए हैं. इनका भी अनुमोदन मिल चुका है, जिससे भारत में एमपोक्स का परीक्षण किया जा सकेगा.


डॉ. बहल ने उम्मीद जताई कि इन वैक्सीनों और परीक्षणों के जरिए कई दुर्लभ बीमारियों से लड़ने में मदद मिलेगी. प्रधानमंत्री मोदी ने भी 'डिजाइन इन इंडिया', 'डेवलप इंडिया', और 'मेक इन इंडिया' की पहल को बढ़ावा दिया है, जिससे यह तकनीक न केवल भारत की जनता, बल्कि पूरे विश्व के लिए उपलब्ध हो सकेगी.


(एजेंसी इनपुट के साथ)