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इस मुद्दे पर भी राजनीति


ये भारत में ही हो सकता है, जहां विपक्षी नेता पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाने वाले लोगों का तो विरोध नहीं करते लेकिन अगर कुछ मुट्ठीभर लोग धर्म के आधार पर किसी खिलाड़ी की ट्रोलिंग करें तो वो इसे हाथों हाथ ले लेते हैं. भारतीय टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी के मामले में आज यही हुआ है. कल के मैच में हार के बाद सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने मोहम्मद शमी को उनके धर्म के लिए निशाना बनाया और उनके बारे में बुरा भला लिखना शुरू कर दिया. 135 करोड़ के भारत में मुश्किल से ऐसी 135 पोस्ट भी नहीं लिखी गई होंगी लेकिन मोहम्मद शमी की ट्रोलिंग एक बड़ा मुद्दा बन गई और हमारे देश के विपक्षी नेताओं ने इस पर अपनी राजनीति शुरू कर दी. 


शमी के मुद्दे पर हंगामा क्यों?


हम मानते हैं कि धर्म को खेल के बीच में नहीं लाना चाहिए. खराब प्रदर्शन के लिए किसी भी खिलाड़ी की आलोचना की जा सकती है. लेकिन इसके लिए उसके धर्म को आधार बनाना किसी भी रूप में सही नहीं हो सकता हालांकि यहां सवाल ये भी है कि रविवार की हार के बाद आलोचना तो भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली की भी हुई. पहली ही गेंद पर आउट होने वाले रोहित शर्मा की भी लोगों ने आलोचना की, उनके खिलाफ अपशब्द कहे. इन सभी खिलाड़ियों के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर भी कई तरह की बातें लिखी गईं. टीम के दूसरे खिलाड़ियों को भी ट्रोल किया गया. रविवार पूरी रात सोशल मीडिया पर रोहित शर्मा ट्रेंड कर रहा था लेकिन इन खिलाड़ियों की ट्रोलिंग में किसी को कोई दिलचस्पी नहीं थी क्योंकि इसमें धर्म का कोई एंगल नहीं था. 


हर बात पर हिंदू-मुसलमान क्यों?


मोहम्मद शमी के मामले ने हमारे देश के एक खास वर्ग को ऐसा मुद्दा जरूर दे दिया, जो उन्हें सूट करता हैं. राहुल गांधी ने Tweet करके लिखा कि 'हम सब उनके साथ हैं. ये लोग नफरत से भरे हुए हैं क्योंकि इन्हें कोई प्यार नहीं देता इसलिए इन्हें माफ कर दें.' उनके अलावा AIMIM पार्टी के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी इसे हिन्दू मुसलमान का एंगल दे दिया.