अमेरिका के वीजा पाबंदी के फैसले से भारत को होगा फायदा, जानें कैसे
गौरतलब है कि यूएस ने घोषणा की है कि 24 जून से 31 दिसंबर तक नए यानी पहली बार आने वाले लोग H-1B, H-2B, L-1A, L-1B, J-1 और डिपेंडेंट वीजा के जरिए US नहीं आ पाएंगे.
नई दिल्ली: यूएस ने नॉन इमीग्रेंट वीजा पर पाबंदी लगा दी है. लेकिन भारत पर उसका बहुत ज्यादा असर नहीं होगा. सरकारी सूत्र बताते हैं कि मौजूदा H-1B वीजा होल्डर पर तो बिल्कुल ही असर नहीं होगा उल्टा उनकी कमाई बढ़ सकती है. गौरतलब है कि यूएस ने घोषणा की है कि 24 जून से 31 दिसंबर तक नए यानी पहली बार आने वाले लोग H-1B, H-2B, L-1A, L-1B, J-1 और डिपेंडेंट वीजा के जरिए US नहीं आ पाएंगे. इनकी एंट्री टेंपरेरी तौर पर रोकी गई है.
फेडेरल रिजर्व, नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस ब्रूकिंग्स फाउंडेशन की रिपोर्ट बताती है कि नॉन इमीग्रेंट वीजा वालों को नापा नहीं जा सकता. हालांकि इस फैसले से अमेरिका में मौजूद 3 लाख एच-1बी वीजा धारक इंडियन को कोई नुकसान नहीं होगा. बल्कि इस फैसले से इनको फायदा होगा, क्योंकि अमेरिका में वर्कर्स की शॉर्टेज हो जाएगी. तो मौजूदा लोगों को ज्यादा सैलरी देनी पड़ेगी. इससे अमेरिका में रह रहे भारतीयों द्वारा भारत में अपने रिश्तेदारों को भेजी जाने वाली रकम बढ़ सकती है. साथ ही इंडिया की तरफ ऑफशोर बिजनेस भी बढ़ सकता है.
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लेकिन बावजूद इसके भारतीय कंपनियां अपनी तरफ से अमेरिका के इस फैसले को रद्द कराने और पुरानी व्यवस्था बहाल कराने के उपाय ढूंढने लगी हैं.
आपको बता दें कि अमेरिका हर साल 85,000 H1-B वीजा जारी करता है. जिसमें से 60,000 इंडियन H1-B वीजा लेने में कामयाब हो जाते हैं. जोकि लगभग 70% है. यूएस ने ये जो वीजा पाबंदी लगाई है वो केवल 6 महीने के लिए है. ऐसे में ज्यादा से ज्यादा 30,000 वीजा प्रभावित हो सकते हैं.
सरकारी सूत्रों का मानना है कि इस बार कोरोना की वजह से फैली बेरोजगारी को देखते हुए अमेरिका हर बार की तरह 85,000 वीजा बांटने के पक्ष में पहले से ही नहीं दिख रहा था. यानी ये संख्या अधिकतम 10,000 भी हो सकती है. ऐसे में इंडिया के लोगों को वैसे भी ज्यादा नुकसान नहीं होते दिख रहा था.
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हां ये जरूर देखा गया कि अमेरिका से कई लोग भारत लौटना चाहते हैं. ऐसे में टैंलेंट के रिवर्स माइग्रेशन से भारत को ही फायदा होगा. ये लोग साइंस और टेक्नोलॉजी स्किल से लैस हैं. हालांकि भारत का रुख साफ है कि वो वर्कर्स की मोबिलिटी चाहता है. यानी अमेरिका के इस फैसले के खिलाफ इंडिया आवाज उठाएगा.
आपको बता दें कि H-1B वीजा क्वालिफाइड प्रोफेशनल के लिए जॉब करने की टेंपरेरी सुविधा देता है. जबकि H-2B वीजा वर्कर को जॉब करने की सुविधा देता है बशर्ते वो कृषि से संबंधित न हो. L-1A वीजा एक ही अमरिकी कंपनी में इमीग्रेंट एग्जीक्यूटिव को ट्रांसफर होके आने की सुविधा देता है, वहीं L-1B भी यही करता है पर स्पेशल नॉलेज वालों के लिए होता है. J-1 वीजा रिसर्च स्कॉलर्स, प्रोफेसर्स या कल्चरल एक्सचेंज प्रोग्राम के लिए दिया जाता है. डिपेंडेंट वीजा स्पाउस और बच्चों को आने की सुविधा देता है.
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