नई दिल्ली: वायुसेना अपना 88 वां स्थापना दिवस ऐसे समय मना रही है, जब वो बदलाव के एक बड़े दौर से गुजर रही है. फाइटर स्क्वाड्रन की कमी से जूझती वायुसेना को रफाल मिले, अपाचे और चिनूक जैसे अत्याधुनिक फाइटर जेट्स मिले और अब एस-400 जैसे एयर डिफेंस सिस्टम का इंतजार है. वायुसेना इस समय अपनी सबसे बड़ी परीक्षा से भी गुजर रही है. सामने चीन जैसी महाशक्ति है और सर्दियों में लद्दाख में तैनात 50000 सैनिकों की सप्लाई लाइन को बनाए रखना है. 


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इस बार वायुसेना दिवस पर रफाल जेट्स पहली बार फ्लाई पास्ट में हिस्सा ले रहे हैं. रफाल एक फॉर्मेशन में हिस्सा ले रहे हैं जिसका नाम ट्रांसफार्मर है. इसमें रफाल, सुखोई और तेजस एक साथ उड़ान भर रहे हैं. इसके अलावा रफाल आसमान में अपनी क्षमता का प्रदर्शन भी कर रहा है जो बेजोड़ है. इस बार एक और खास बात ये है कि सभी फाइटर जेट्स 5-5 की फॉर्मेशन में उड़ान भर रहे हैं. पहले ये केवल 3-3 की फॉर्मेशन में ही उड़ते थे.  


वायुसेना की भारी परिवहन विमान ग्लोवमास्टर और सुपर हर्कुलिस भी हिंडन एयरबेस के आसमान में अपनी गरिमामय चाल से उड़ते नजर आएंगे जिन्होंने मई में चीन के साथ तनाव शुरू होने के कुछ घंटे के भीतर ही लेह की लगातार उड़ान भरकर टैंक, तोपें, रसद, गोला-बारूद और सैनिकों को एलएसी तक पहुंचाने के लिए हवा में एक पुल बना दिया था. 


चिनूक हेलीकॉप्टर ने लेह से आगे चुशूल से लेकर दौलत बेग ओल्डी तक मोर्चे पर हल्की तोपें पहुंचाईं और सैनिकों को हर साजो-सामान मुहैया कराया. चिनूक अपनी इस क्षमता को वायुसेना दिवस पर आम लोगों को दिखा रहा है. चिनूक के अलावा लड़ाकू हेलीकॉप्टर अपाचे, स्वदेशी रुद्र भी वायुसेना दिवस के फ्लाई पास्ट का हि्स्सा हैं. वायुसेना दिवस पर कुल 56 एयरक्राफ्ट फ्लाई पास्ट में हि्स्सा ले रहे हैं. इनमें 19 फ़ाइटर, 19 हेलीकॉप्टर, 7 ट्रांसपोर्ट,, 9 सूर्य किरण एरोबैटिक टीम के हॉक और 2 विंटेज हैं.