Colonial Practice and Names in Indian Army: भारतीय नौसेना के झंडे के ब्रिटिश गुलामी का प्रतीक विक्टोरिया क्रॉस हटने के बाद अब आर्मी (Indian Army) ने भी इस दिशा में पहल शुरू कर दी है. पीएम नरेंद्र मोदी के निर्देश पर भारतीय सेना ब्रिटिश साम्राज्यवाद की सभी प्रतीकों को एक-एक कर खत्म करने जा रही है. इसके लिए सेना ने व्यापक रूप से इंटरनल सर्वे शुरू करने का फैसला किया. इस सर्वे में सामने आए ब्रिटिशकालीन प्रतीकों को चिह्नित कर बाद में खत्म कर दिया जाएगा.


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ब्रिटिश गुलामी के प्रतीकों को ढूंढने का सर्वे


सूत्रों के मुताबिक आर्मी (Indian Army) चीफ जनरल मनोज पांडे (General Manoj Pandey) ने पीएम मोदी के निर्देशों का पालन करते हुए सैन्य अधिकारियों से ब्रिटिशकालीन गुलामी के प्रतीकों को चिह्नित करने को कहा है. रिपोर्ट के मुताबिक सेना की कई रेजिमेंट और यूनिटों में ब्रिटिशकालीन परंपरा का पालन किया जाता है. इन यूनिटों की यूनिफॉर्म, पॉलिसी, रूल्स, कानून भी अंग्रेजों के जमाने के हैं.


अंग्रेजों के दौर में बनाए हुए कई आर्मी इंस्टिट्यूटों के नाम भी इंग्लिश अफसरों के नाम पर चल रहे हैं. कई आर्मी बिल्डिंगों, सड़कों, लेन और पार्कों के नाम भी ब्रिटिश अफसरों के नाम पर हैं. अब उन सबको एक-एक करके बदला जाएगा. 


बदले जाएंगे अंग्रेजों के जमाने के अवार्डों के नाम


सूत्रों के मुताबिक भारतीय सेना (Indian Army) में कई अवार्ड अब भी ब्रिटिशकालीन दौर के चल रहे हैं. ये अवार्ड उन लोगों को दिए जाते थे, जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को कुचलने में उनकी मदद करते थे. ऐसे में ये अवार्ड भारत की अस्मिता के खिलाफ हैं. इन अवार्डों को या तो खत्म किया जाएगा या फिर इनका नाम बदला जाएगा. 


यूनिटों के नाम और परंपराओं में भी होंगे बदलाव


ऑफिसर्स मेस की ब्रिटिशकालीन परंपरा, यूनिटों के झंडे, उनके नाम और बीटिंग द रिट्रीट जैसी सेरेमनी के नाम की भी समीक्षा कर उन्हें बदला जाएगा. ये नाम बदलकर भारत के उन महान स्वतंत्रता सेनानियों और महापुरुषों के नाम पर रखे जाएंगे, जिन्हें देश को आजाद कराने और उसे आगे बढ़ाने में भूमिका निभाई.



(इनपुट एएनआई)


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