Corps Commander Meets Injured Soldier: अगर किसी घायल सैनिक से उसका कमांडर अस्पताल में मिलने आए और उस समय उससे कहे कि फिक्र मत करो जिन्होंने तुम्हें घायल किया है हम उन्हें छोड़ेंगे नहीं, तो उस घायल सैनिक (Injured Soldier) के हौसले की कोई इंतहा नहीं होती. और अगर कुछ दिन बाद वही कमांडर दोबारा उससे मिलने आए और कहे कि हमने उन्हें मार दिया, तो सैनिक को लगता है कि वो उसी समय ठीक हो गया है और दोबारा मोर्चे पर जाने के लिए तैयार है. 


4 अप्रैल को आतंकवादियों ने किया था हमला


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ऐसी ही एक घटना पिछले दिनों कश्मीर (Kashmir) में हुई, जब सैनिक के अस्पताल से बाहर आने से पहले ही उसका बदला ले लिया गया और उसकी खुशखबरी कमांडर ने घायल सैनिक को दी. 4 अप्रैल को श्रीनगर (Srinagar) के मैसूमा में सीआरपीएफ के कैंप पर आतंकवादियों ने हमला किया. कैंप की संतरी पोस्ट पर किए गए इस हमले में हेड कॉन्स्टेबल विशाल कुमार (Vishal Kumar) को वीरगति मिली जबकि एएसआई निरंजन सिंह के जबड़े में गोली लगी. 


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एक हफ्ते के अंदर ही लिया बदला


निरंजन सिंह (Niranjan Singh) को श्रीनगर में सेना 92 बेस हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. यहां उनसे मिलने चिनार कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडे (Commander Lt. General DP Pandey) पहुंचे. जनरल पांडे ने घायल सैनिक का हौसला बढ़ाने के साथ-साथ जल्द उनका बदला लेने का वायदा किया. 10 अप्रैल को ही श्रीनगर के बिसंबर नगर में आतंकवादियों से मुठभेड़ हुई और दो पाकिस्तानी आतंकवादी मारे गए. पुलिस और सीआरपीएफ (CRPF) के इस साझा ऑपरेशन में मारे गए दोनों आतंकवादी पाकिस्तानी थे और A कैटेगरी के थे. 


घायल सैनिक को दी खुशखबरी


इन आतंकवादियों ने मैसूमा सीआरपीएफ कैंप (Maisuma CRPF Camp) पर हमला किया था, जिसमें निरंजन सिंह जख्मी हुए थे और उनके साथी वीरगति को प्राप्त हुए थे. एक बार फिर जनरल पांडे बेस हॉस्पिटल (Hospital) गए और निरंजन सिंह को ये खुशखबरी दी. खुशखबरी मिलते ही निरंजन सिंह ने अपनी खुशी का इजहार किया और कहा कि वो जल्द से जल्द वापस मोर्चे पर जाने के लिए बेचैन हैं. 


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मारे गए आतंकवादियों का इतिहास


मारा गया एक आतंकवादी मोहम्मद भाई उर्फ अबू कासिम (Abu Qasim) था, जो 2019 से कश्मीर में वारदात कर रहा था. दूसरा आतंकवादी अबू अर्सलान (Abu Arslan) उर्फ खालिद 2021 से श्रीनगर के आसपास टारगेट किलिंग की वारदातों में शामिल था. दोनों आतंकवादी लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-e-Taiba) आतंकवादी गिरोह के थे और उनके पास नकली आधार कार्ड भी थे. 


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